शिमला: हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के चालक-परिचालकों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है. यूनियन ने सरकार और एचआरटीसी प्रबंधन को अंतिम चेतावनी देते हुए 9 मार्च की मध्य रात्रि तक का अल्टीमेटम दे दिया. यदि इस अवधि तक उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो 9 मार्च की रात 12 बजे से 72 घंटे के लिए प्रदेशभर में बसों के पहिए थम जाएंगे.
एचआरटीसी चालक-परिचालक यूनियन ने गुरुवार को शिमला स्थित पुराने बस अड्डे में निगम मुख्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया और सरकार व प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. यूनियन ने साफ कर दिया कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से भी पीछे नहीं हटेंगे.
15 दिन का नोटिस खत्म, अब आर-पार की लड़ाई
एचआरटीसी चालक संघ के अध्यक्ष मान सिंह ठाकुर ने कहा कि यूनियन ने सरकार और प्रबंधन को 15 दिन पहले अपनी मांगों को लेकर नोटिस दिया था जिसकी मियाद अब खत्म हो चुकी है. उन्होंने कहा कि निगम के चालकों और परिचालकों को 65 माह का ओवरटाइम भुगतान, महंगाई भत्ते (डीए) का एरियर, 4-9-14 वेतनमान का एरियर और 2016 के वेतन आयोग की बकाया राशि का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है.
मान सिंह ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 12 अक्टूबर 2024 को 59 करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की थी लेकिन यह घोषणा महज एक जुमला साबित हुई. अब प्रबंधन 5 करोड़ रुपये जारी करने की बात कर रहा है लेकिन इतने कम भुगतान से समस्या हल नहीं होगी.
उन्होंने कहा कि यूनियन का मकसद हड़ताल पर जाना नहीं है बल्कि वे अपनी जायज मांगों को पूरा कराना चाहते हैं. सरकार यदि वार्ता के लिए बुलाती है और ठोस निर्णय लेती है तो हड़ताल टल सकती है लेकिन अगर मांगे नहीं मानी गईं तो 9 मार्च मध्य रात्रि से बस सेवाएं ठप कर दी जाएंगी.
एडवांस बुकिंग पर भी रोक, सरकार को ठहराया जिम्मेदार
यूनियन ने सरकार और एचआरटीसी प्रबंधन को साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि 9 मार्च से पहले एडवांस टिकट बुकिंग न की जाए. यदि हड़ताल के कारण यात्रियों को परेशानी होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और निगम प्रबंधन की होगी.
मान सिंह ने कहा कि सरकार को यह सोचना चाहिए कि एचआरटीसी कर्मचारी अपनी जायज मांगों को लेकर सड़क पर उतरने को मजबूर हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 9 मार्च तक सरकार समाधान नहीं निकालती तो 72 घंटे की हड़ताल के बाद यूनियन अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जा सकती है.
बता दें कि एचआरटीसी की लगभग 3 हज़ार बसे हैं. एचआरटीसी बसों के पहिये थमने से पूरे प्रदेश में परिवहन सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. खासतौर पर ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में जहां परिवहन का मुख्य साधन बसें ही है वहां यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
हिन्दुस्थान समाचार
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