हिमाचल प्रदेश में मंदिर ट्रस्टों से सरकारी योजनाओं के लिए चंदा जुटाने का ये बड़ा विवाद सुर्खियों में है. जिसमें सभी जिलों के डीसी को पत्र लिखकर कांग्रेस शासित सुक्खू सरकार ने सुखाश्रय योजना के लिए मंदिरों से पैसे देने को कहा गया था. इतना ही नहीं सरकार की ओर से 29 जनवरी, 2025 को हिमाचल की कांग्रेस सरकार की ओर से एक अधिसूचना जारी की गई. जिसमें आर्थिक संकट से जूझ रही रही सरकार को फ्रीबीज स्कीम चलाने के लिए और धन का योगदान करने के लिए मंदिर ट्रस्टों के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए. इस अधिसूचना के चलते सरकार द्वारा मंदिरों से मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना और मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना में योगदान देने का आग्रह किया गया था. सुख आश्रय योजना का उद्देश्य अनाथ बच्चों, बेसहारा महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना है.
ऐसा पहली बार नहीं है जब कांग्रेस शासित राज्य सरकारों ने मंदिर ट्रस्टों के खजाने पर नजर डाली है. इससे पहले भी कांग्रेस की सरकारें मंदिरों से जुड़े मुद्दों पर हस्तक्षेप करती रही हैं. आइए इसे क्रमवार जानते हैं.
- हिमाचल की कांग्रेस सरकार का मंदिरों के मुद्दों में हस्तक्षेप करना आज की बात नहीं है यह पहले भी इस तरह की हरकतें करते हुए पाए गए हैं. आपको बता दें कि यह बात है 29 नवंबर 2023 की जब हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने मंदिरों के कीमती धातुओं के उपयोग को नियंत्रित करने वाले नियम को बदल दिया था. इसके तहत सरकार ने मंदिरों से 600 किलोग्राम सोना और 235 कुंतल चांदी अपने कब्जे में कर ली थी. इस तरह से हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने 32 मंदिरों पर अपना कब्जा जमाया हुआ है जिसमें से ऊना की चिंतपूर्णी मंदिर और बिलासपुर की श्री नैना देवी जी मंदिर शमिल हैं.
- 22 सितंबर 2022 को तेलंगाना बंदोबस्ती विभाग ने तीन मंदिरों के लिए एक फरमान जारी किया था. जिसमें उन प्रत्येक मंदिरों को वारंग में बनने वाली तीन मंजिला बंदोबस्ती कार्यालय के लिए एक-एक करोड़ का योगदान देन के लिए कहा गया. आपको बताते हैं यह आदेश वारंगल में भद्रकाली मंदिर,काजीपेट टाउन के मंडी कोंडागांव में सीताराम चंद्र स्वामी मंदिर और मेदाराम गांव के मुलुगु जिले के सम्मक्का-सरलम्मा मंदिर के लिए जारी किया गया था. इसके साथ ही इन तीनों मंदिरों को बंदोबस्ती विभाग के डिप्टी कमिश्नर के नाम पर एक संयुक्त बैंक अकाउंट खोलने के निर्देश दिए गए थे, जिसमें सभी मंदिर 1 करोड़ रूपये जमा कराएं.
- पिछले साल 4 जनवरी 2024 को एक और ऐसी घटना राजस्थान के अजमेर से सामने आई है जिसमें राजस्थान लोक निर्माण ने अजमेर के 200 साल पुराने देवनारायण मंदिर की चहारदिवारी को अतिक्रमण के हवाले से तोड़ दिया था. उस दौरान राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हुआ करते थे.
- हद तो तब हो गई जब 6 मई 2024 को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अविमुकेश्वर स्वामी मंदिर की ब्रह्मरथोत्सव समिति में एक गैर-हिन्दू व्यक्ति को नियुक्त किया था. नवगठित मंदिरों के आयोजनों की देखरेख के लिए ‘नवाज’ नाम के मुस्लिम शख्स को समिति में शामिल किया गया था. इस समिति में कुल 12 लोग थे जिनमें से एक मुस्लिम शख्स नवाज भी थे.
- आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में पशु वसा युक्त घी के उपयोग पर चल रहे विवाद के बीच, कर्नाटक सरकार ने 20 सितंबर 2024 को एक निर्देश जारी किया था, जिसमें राज्य के मंदिर प्रबंधन निकाय के तहत 34,000 मंदिरों में नंदिनी ब्रांड घी के उपयोग को अनिवार्य किया गया था. आपको बता दें कि नए निर्देश के अनुसार, कर्नाटक सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी मंदिरों को मंदिर के अनुष्ठानों के लिए केवल कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) द्वारा उत्पादित नंदिनी घी का ही उपयोग करना होगा.
- 2024 के क्रिसमस के दिन, मेडचल (भाग्यनगर) पुलिस द्वारा शोर की शिकायतों और क्रिसमस पर धार्मिक गतिविधियों को हतोत्साहित करने का हवाला देते हुए चल रही अयप्पास्वामी पूजा में हस्तक्षेप के बाद कंडलाकोया गांव में एक घटना से हिंदू समुदाय में आक्रोश फैल गया था. एसआई अशोक के नेतृत्व में पुलिस जूते पहनकर ही मंदिर परिसर में घुस गई. इस कदम की धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के रूप में व्यापक रूप से निंदा की गई थी