शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राज्य में नशे के बढ़ते खतरे को जड़ से खत्म करने के लिए पुलिस विभाग को आगामी छह माह में मिशन मोड पर व्यापक अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि नशा तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और इस अवैध कारोबार में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा.
शनिवार को यहां पुलिस और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने नशा तस्करी पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी भी नशे के कारोबार में संलिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और पुख्ता सबूत मिलने पर उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा.
पीआईटी-एनडीपीएस कानून का सख्ती से होगा पालन
मुख्यमंत्री सुक्खू ने अधिकारियों को पीआईटी-एनडीपीएस (स्वापक औषधियों और मनः प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार की रोकथाम) अधिनियम को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए. उन्होंने इस कानून के तहत मामलों के निष्पादन में देरी पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों से एक सप्ताह के भीतर सभी लंबित मामलों की समीक्षा करने को कहा.
उन्होंने दोहराया कि राज्य सरकार ने नशे के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई है. ऐसे में नशा तस्करों और उनके सहयोगियों की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया तेज की जाएगी. मुख्यमंत्री ने पुलिस विभाग को संदिग्धों के बैंक खातों की जांच करने के भी निर्देश दिए ताकि अवैध लेन-देन का पता लगाया जा सके.
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स को किया जाएगा मजबूत
मुख्यमंत्री ने कहा कि एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) को और सुदृढ़ किया जाएगा. इसके अलावा नशा तस्करी और नशाखोरी की समस्या से निपटने के लिए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा.
उन्होंने राज्य के युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने और नशाखोरी को खत्म करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि वह स्वयं इस अभियान की नियमित निगरानी करेंगे. मुख्यमंत्री ने पुलिस विभाग को पंचायत स्तर तक नशा तस्करों और पीड़ितों की मैपिंग करने और 15 मार्च, 2025 तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा.
पंचायत प्रतिनिधियों और नंबरदारों की भी ली जाएगी मदद
मुख्यमंत्री ने कहा कि नशे के खतरे से निपटने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों और नंबरदारों को भी अभियान में शामिल किया जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी कि नशा तस्करी के मामलों में कार्रवाई से बचने वाले पुलिस अधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई होगी.
उन्होंने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी एनडीपीएस मामलों की गहन जांच की जाए और पूरे नेटवर्क को खत्म करने के लिए फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज को मजबूती से खंगाला जाए.
विशेष न्यायालय और सख्त कानून की तैयारी
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार एनडीपीएस मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय स्थापित करने पर विचार कर रही है. साथ ही, पैरोल के नियमों को सख्त बनाने के लिए भी ठोस कदम उठाए जाएंगे.
इसके अलावा सरकार विधानसभा के आगामी बजट सत्र में हिमाचल प्रदेश एंटी ड्रग एक्ट पेश करेगी. इस नए कानून में नशे के शिकार लोगों और तस्करों के बीच स्पष्ट अंतर किया जाएगा, ताकि पीड़ितों को पुनर्वास की बेहतर सुविधा मिल सके.
कोटला बेहड़ में बनेगा अत्याधुनिक पुनर्वास केंद्र
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि सिरमौर जिले के कोटला बेहड़ में एक अत्याधुनिक पुनर्वास केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जहां नशा पीड़ितों को चिकित्सा और काउंसलिंग की सुविधाएं दी जाएंगी.
फार्मा कंपनियों पर भी कड़ी निगरानी
मुख्यमंत्री ने फार्मा कंपनियों पर भी सख्त निगरानी रखने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि यदि कोई फार्मा कंपनी साइकोट्रोपिक दवाओं की अवैध बिक्री में लिप्त पाई जाती है, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. ऐसी कंपनियों के लाइसेंस का नवीनीकरण भी नहीं किया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ व्यापक जन-जागरूकता अभियान शुरू करने पर भी जोर दिया, ताकि समाज में इसके दुष्प्रभावों को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके.
हिन्दुस्थान समाचार