हिमाचल प्रदेश में युवाओं में नशे की बढ़ती लत एक बहुत बड़ा चिंता का विषय बना है. जहां नशे के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, वहीं ओवरडोज के चलते मौत के मामले भी सामने आ रहे हैं. अब कुल्लू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने युवाओं को नशे की गिरफ्त से निकालने और जागरूक करने के लिए अभियान शुरू किया है. यह मुहिम सेमिनार, पोस्टर अभियान, नुक्कड़ नाटक और जन जागरण रैलियों के माध्यम से होगी. यह बात ABVP के जिला संयोजक सारांश ने पत्रकार वार्ता में कही. यह अभियान 28 फरवरी से लेकर 5 मार्च तक चलेगा.
इसी कड़ी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद धर्मशाला के सदस्यों ने भी नशे के खिलाफ इस मुहिम को आगे जारी रखने का फैसला लेते हुए विशेष अभियान की तैयारी कर ली है. विद्यार्थी परिषद के प्रदेश सह मंत्री अभिनव चौधरी ने कहा कि वर्तमान में हिमाचल के युवा नशे के मकड़जाल में फंस कर बर्बादी की ओर अग्रसर हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि ABVP प्रदेश में नशे के खिलाफ जन जागरण अभियान चलाएगी. यह अभियान 28 फरवरी से 5 मार्च तक इकाई स्तर पर एसडीएम, डीसी, एसपी, जन प्रतिपिधियों, मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन भेजेंगे. 5 से 10 मार्च तक पर्चा वितरण किया जाएगा. 7 मार्च को जन जागरण रैलियां आयोजित की जाएंगी. 3 से 6 मार्च तक सेमिनार व संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी, जबकि 10 से 20 मार्च तक जिला स्तर पर नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाई जाएगी.
लगातार बढ़ रहे मामले
हिमाचल में युवा नशे के लिए प्रमुख रूप से नशीले पदार्थ चिट्टे का प्रयोग कर रहे हैं. प्रदेश का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां चिट्टे की बरामदगी न हो. विशेष रूप से सीमांत जिलों कांगड़ा, ऊना व उसके साथ लगते इलाकों में चिट्टे का प्रकोप अधिक है. पुलिस के अनुसार हिमाचल में विदेश से भी नशा तस्करी होती है. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में तैयार किए गए नशीले पदार्थ भारत स्मगल किए जाते हैं.
हिमाचल प्रदेश में ड्रग ओवरडोज के चलते युवाओं की मौत के मामले भी लगातार सामने आए हैं. ऊना और बिलासपुर से लेकर सोलन तक युवाओं की मौत के मामले सामने आ चुके हैं. हिमाचल का शायद ही कोई जिला ऐसा बचा हो जहां नशे की पहुंच में युवा ना हों.
हिमाचल प्रदेश में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS) एक्ट के तहत नशे के मामलों का आंकड़ा देखें तो बीते करीब एक दशक में औसतन हर साल मामलों में इजााफा ही हुआ है. साल 2014 में 644 मामले दर्ज हुए जो 2015 में कुछ कम होकर 622 हुए. फिर साल 2016 में हिमाचल पुलिस ने 929 मामले NDPS एक्ट के तहत दर्ज किए. साल 2017 में ये आंकड़ा एक हजार के पार पहुंच गया और इस साल 1010 मामले दर्ज हो गए. 2018 में 1342 मामले, 2019 में 1400 से ज्यादा, साल 2020 में 1377, साल 2021 में 1392, साल 2022 में 1517 और साल 2023 में एनडीपीएस के तहत 2147 मामले दर्ज हुए. जबकि वर्ष 2024 के अंत तक लगभग 3 हजार से अधिक मामले दर्ज हो चुके है.