हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में एक मस्जिद के सामने महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगाने को लेकर मुस्लिम समुदाय की तरफ से लगातार विरोध जताया जा रहा है. इसे लेकर मुस्लिम समुदाय की तरफ से तर्क दिया गया है कि इससे धार्मिक भावनाओं का खिलवाड़ हो रहा है. साथ ही आगे कहा गया है कि प्रतिमा को मस्जिद के सामने न लगाया जाए. यदि ऐसा होता है तो इससे धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं.
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब देश के महान लोगों की प्रतिमा लगाने पर मुस्लिम समुदायों की तरफ से आपत्ति जताई गई हो. इससे पहले भी कई बार धार्मिक भावनाओं का हवाला देते हुए विरोध और आपत्तियां जताई गई हैं. ऐसी ही घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं.
दिल्ली में रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा पर विवाद
दिल्ली के सदर बाजार स्थित शादी ईदगाह बाग में महारानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा लगाने को लेकर वक्फ बोर्ड मुस्लिम समुदायों की तरफ से विरोध जताया गया था. उस समय जमीन पर मालिकाना हक जताने का तर्क दिया गया था. बाद में कानूनी और राजनीतिक पचड़ों में पड़कर यह मांग पूरी नहीं हो पाई थी.
तमिलनाडु में अब्दुल कलाम आजाद की प्रतिमा का विरोध
ऐसा ही एक विरोध तमिलनाडु के रामेश्वरम में भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद की प्रतिमा पर हुआ था. वहां पर मुसलमानों ने इसे गैर इस्लामिक बताया था, बता दें कि रामेश्वरम जिले के जामाठुला के उलेमा ने कहा था कि किसी भी मरे हुए व्यक्ति की प्रतिमा लगाना इस्लाम के खिलाफ है और इसी वजह से इसका विरोध किया गया.
लक्षद्वीप में गांधी प्रतिमा का विरोध
बता दें कि ऐसा ही विरोध साल 2021 में लक्षद्वीप में गांधी प्रतिमा को लेकर किया गया था जहां शरिया कानूनों का हवाला देते हुए मुस्लिमों की तरफ से बताया गया था कि वहां ज्यादा मुस्लिम आबादी है इसलिए उनकी मांग मानी जाए. इस प्रतिमा को गांधी जयंती पर लगाया जाना था मगर ज्यादातर मुस्लिमों के हंगामे के चलते उस वक्त इसे स्थापित नहीं होने दिया था.
तेलंगाना में संत कनाकादास की प्रतिमा पर हड़कंप
तेलंगाना में साल 2024 में मुसलमानों ने संत कनाकादास की स्थापित की गई प्रतिमा को हटा दिया था. उस वक्त यह कहा गया था कि जहां इस मूर्ति की स्थापना हुई थी वो जमीन एक निजी स्वामित्व के अंतर्गत आ रही थी . इन्हीं कारणों के चलते प्रतिमा को विरोध का सामना करना पड़ा और आखिर में उसे हटा दिया गया.