छत्रपति शिवाजी महाराज- एक कुशल शासक, सैन्य रणनीतिकार, एक वीर योद्धा, मुगलों को मात देने वाले और सभी धर्मों के लिए सम्मान का नजरिया रखने वाले वीर का जन्म 19 फरवरी 1630 को एक मराठा परिवार में हुआ था. शिवाजी का जन्म उस दौरान हुआ था, जब देश में मुगलों का आक्रमण चरम पर था. शिवाजी महाराज ने ही मुगलों के खिलाफ युद्ध का बिगुल बजाया था. वह पुणे के पास स्थित शिवनेरी के दर्ग में जन्मे थे. उनकी माता का नाम जीजाबाई और पिता का नाम शाहजी था. शिवाजी महाराज एक योद्धा और एक मराठा राजा थे, उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई लड़ाई लड़ी थी. उनकी वीरता और नेतृत्व के चलते उन्हें छत्रपति की उपाधि मिली थी.
5 पॉइन्टस में जानिए शिवाजी से छत्रपति तक की वीरकथा
- बीजापुर और मुगलों पर शिवाजी की गुरिल्ला युद्ध कला पड़ी भारी, जिससे उनकी युद्ध कौशल और रणनीति को सराहना मिली
- शिवाजी की बड़ी प्रख्याति से बीजापुर के शासक आदिलशाह खौफ में आ गए.
- अपने पिता को आदिलशाह की कैद से रीहा कर, शिवाजी ने पुरंदर और जावेली पर अपना कब्जा किया.
- औरंगजेब ने दोस्ती का जाल फेंकर शिवाजी को कैद किया, जिससे वे अपनी चतुराई से भाग निकले. साथ ही औरंगजेब की सेनी को धूल चटाकर सभी 24 किलों पर फिर से अपना कब्जा कर लिया.
- उनकी इसी बहादुरी के बाद 6 जून 1674 के रायगढ़ किले में उन्हें छत्रपति की उपाधि गई. छत्रपति में छत्र का मतलब एक प्रकार का मुकुट जिसे देवताओं या बेहद पवित्र पुरुषों द्वारा पहना जाता है से है बल्कि पाटी का मतलब गुरु था.
3 अप्रैल 1680 को गंभीर बीमारी के कारण शिवाजी की मृत्यु हो गई. लेकिन उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा. शिवाजी के बाद उनके पुत्र संभाजी ने राज्य की बागडौर संभाली.