चुनावों के दौरान अलग-अलग राजनीतिक दलों द्वारा मिलने वाली फ्री रेवड़ियों पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने सुनावई के दौरान कहा कि लोग अब काम करने में बिल्कुल भी इच्छुक नहीं है. अब उन्हें बिना काम किए फ्री में राशन और पैसे मिल रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने शहरी क्षेत्रों में बेघर लोगों को आश्रय के अधिकार से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि चुनाव से पहले मिलने वाली फ्री योजनाओं के कारण अब लोगों का काम करने का मन बिल्कुल नहीं करता है. वह काम से बचना चाहते हैं और मुफ्त में मिलने वाले राशन और पैसों का लाभ लेना चाहते हैं.
जस्टिस बी.आर गवई और जॉर्ज मसीह की बेंच की पीठ ने कहा कि दुर्भाग्यवश मिलने वाले फ्रीबीज की वजह से अब लोग काम करने से कतराते है और चाहते हैं कि उन्हें फ्री में धनराशि और राशन मिलता रहे. आगे कोर्ट ने कहा कि हम लोगों को लेकर आपकी चिंताओं को समझते हैं, लेकिन ज्यादा बेहतर यह होगा कि आपको लोगों को समाज की मुख्याधारा में शामिल किया जाए. और राष्ट्र के विकास के योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए.
आगे पीठ ने बताया कि जल्द केंद्र सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन के आखिरी चरण में है.