Ravidas Jayanti 2025: हर मास माघ मास की पूर्णिमा का दिन रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता है. गुरु रविदास को रैदास के नाम से भी बुलाया जाता था. वह एक कवि और संत थे. गुरु रविदास का भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने समाज को जोड़े रखने और व्यक्तिगत आध्यात्मिक आंदोलन को बढ़ावा देने पर जोर दिया है. संत रविदास अपने पूरे जीवन काल में भक्ति के रास्ते पर ही चले. उनका प्रसिद्ध मुहावरा “मन चंगा तो कठौती में गंगा” है, जो आज भी लोगों की जुबान पर रहता है.
कौन थे गुरु रविदास?
गुरु रविदास का जन्म 1377 ई में हुआ था. वह उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जन्मे थे. पंचाग के अनुसार, गुरु रविदास का जन्म माघ मास की पुर्णिमा तिथि को हुआ था. रविदास चर्मकाल कुल से होने के चलते जूते बनाने का काम करते थे. इस काम से उन्हें बेहद खुशी मिलती थी. न केवल वो मुगलों के अत्याचारों से लोहा लेते रहे. उन पर हर प्रकार से धर्म बदलने का दबाव बनाया गया मगर रविदास अपने वचनों पर अटल रहे और मानवता की शिक्षा देते रहे.
गुरु रविदास जयंती क्यों मनाई जाती है?
गुरु रविदास जयंती मनाने का प्रमुख कारण यह है कि रविदास जी जात-पात और ऊंच-नीच के भेदभाव को खत्म करना का प्रयास करते थे. उन्होंने समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए भी कड़ी लड़ाई की थी. गुरु रविदास जी ने सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे लोगों में अच्छे गुणों का संचार हो सके.