हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड (HPSEBL) के कर्मचारियों, अभियंताओं और पेंशनर्स ने सरकार की युक्तिकरण नीति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हमीरपुर जिले में बिजली बोर्ड कर्मियों और पेंशनर्स ने भारी संख्या में उपस्थिति दर्ज कराते हुए प्रदेश सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की और बोर्ड प्रबंधन की नीतियों का कड़ा विरोध किया.
महापंचायत में कर्मचारी यूनियनों का शक्ति प्रदर्शन
हमीरपुर के टाउन हॉल में आयोजित इस महापंचायत में हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड की सात यूनियनों के पदाधिकारियों के अलावा, दो पेंशनर्स यूनियनों और आउटसोर्स कर्मियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. ज्वाइंट एक्शन कमेटी ऑफ इम्प्लॉईज, इंजीनियर्स एंड पेंशनर्स द्वारा इस दौरान सात सूत्री मांग पत्र तैयार किया गया.
कमेटी ने कहा कि बिजली बोर्ड में हजारों पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार उन्हें भरने के बजाय युक्तिकरण के नाम पर समाप्त कर रही है, जिससे कर्मचारियों का भविष्य संकट में आ गया है. इस महापंचायत में सरकार की नीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई और आगे की रणनीति पर विचार किया गया.
सरप्लस किए जा रहे पद, संकट में कर्मचारी
बिजली बोर्ड ज्वाइंट एक्शन कमेटी के प्रदेश सह-संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ बोर्ड कर्मचारी एकजुट हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि सरकार और बोर्ड प्रबंधन ने जनरेशन और संचार विंग के 700 से अधिक पदों को सरप्लस कर दिया है. इससे पहले भी 51 पद समाप्त किए जा चुके हैं और 81 आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया है.
बोर्ड मुख्यालय और परिचालन विंग में युक्तिकरण और वेतन केंद्रीयकरण के नाम पर हजारों पद समाप्त करने की प्रक्रिया जारी है.
पुरानी पेंशन और नई भर्ती की मांग
महापंचायत में शामिल कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू करने, बिजली बोर्ड में नई भर्तियां शुरू करने और युक्तिकरण नीति को तुरंत बंद करने की मांग उठाई.
हिमाचल प्रदेश विद्युत सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप खरवाड़ा ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पिछले दो वर्षों से लीव एनकैशमेंट और अन्य वित्तीय लाभ नहीं मिल रहे हैं, जिसे जल्द जारी किया जाना चाहिए.
बिजली बोर्ड की वित्तीय स्थिति खराब, 178 करोड़ रुपये बकाया
कुलदीप खरवाड़ा ने कहा कि सरकार वित्तीय बोझ का हवाला देकर कर्मचारियों और पेंशनर्स की समस्याओं की अनदेखी कर रही है. लेकिन बिजली बोर्ड को दी जाने वाली सब्सिडी की राशि भी सरकार ने अब तक जारी नहीं की है.
इसके अलावा, प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों पर 178 करोड़ रुपये के बिजली बिल बकाया हैं, जिसे अब तक भुगतान नहीं किया गया है. इस कारण बिजली बोर्ड की वित्तीय स्थिति लगातार खराब होती जा रही है.
सरकार से जल्द समाधान की मांग
महापंचायत में कर्मचारियों और पेंशनर्स ने सरकार से मांग की कि वह जल्द से जल्द बिजली बोर्ड प्रबंधन के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं का समाधान निकाले. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती तो आंदोलन तेज किया जाएगा.
हिन्दुस्थान समाचार