शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में हाल ही में हुई भर्तियों को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. विपक्षी दल भाजपा ने इन भर्तियों मे अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है. भाजपा का कहना है कि इन भर्तियों में विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्रों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई है तथा इससे पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं. वहीं विधानसभा सचिवालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है और दावा किया है कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की गई है.
विधानसभा सचिवालय का दावा : भर्तियों में पूरी पारदर्शिता बरती गई
विधानसभा सचिवालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि कुछ समाचार पत्रों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर विधानसभा में हुई भर्तियों को लेकर भ्रामक और तथ्यहीन व निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं. विस सचिवालय के प्रवक्ता ने कहा कि हिमाचल विधानसभा में भर्ती प्रक्रिया हमेशा से ही राजभवन, उच्च न्यायालय और लोक सेवा आयोग की भांति निजी सचिवालयों के माध्यम से की जाती रही है. इसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है और सभी भर्तियाँ सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित आरक्षण नियमों और मानकों के अनुरूप ही की गई हैं.
प्रवक्ता ने यह भी कहा कि जब से हिमाचल प्रदेश विधानसभा अस्तित्व में आई है. तब से लेकर अब तक भर्ती प्रक्रिया में सभी जिलों के उम्मीदवारों को पात्रता के अनुसार नियुक्ति दी गई है. इस बार भी भर्तियों में पूरी तरह मेरिट का ध्यान रखा गया है और किसी भी तरह की पक्षपातपूर्ण प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है.
भर्तियों में जिलावार नियुक्तियों का ब्यौरा
विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक विधानसभा में विभिन्न जिलों से अभ्यर्थियों का चयन किया गया है. इनमें शिमला से 37, सिरमौर से 11, बिलासपुर से तीन, हमीरपुर से सात, कांगड़ा से 36, ऊना से तीन, चंबा से पांच, मंडी से 49, किन्नौर से एक, सोलन से 14, कुल्लू से एक, उत्तराखंड से दो और चंडीगढ़ से एक अभ्यर्थी को नियुक्ति मिली है.
उन्होंने कहा कि हाल ही में हुई भर्तियों में जिलावार नियुक्तियों में शिमला से दो, सिरमौर से दो, बिलासपुर से एक, हमीरपुर से सात, काँगड़ा से एक, ऊना से एक, चंबा से 15, मंडी से दो औऱ लाहौल-स्पीति से एक अभ्यर्थी शामिल है.
विधानसभा अध्यक्ष पर लगाए जा रहे आरोप असंवैधानिक : सचिवालय
विधानसभा सचिवालय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का पद एक संवैधानिक पद है और उन पर इस प्रकार के आरोप लगाना पूरी तरह असंवैधानिक है. प्रवक्ता ने कहा कि मीडिया और सोशल मीडिया में जो खबरें फैलाई जा रही हैं, वे भ्रामक और बिना तथ्यों की जांच किए प्रकाशित की जा रही हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि बिना तथ्यों के संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों पर आक्षेप लगाना न केवल अनुचित है बल्कि यह विशेषाधिकार हनन के दायरे में आता है.
हिन्दुस्थान समाचार