शिमला: हिमाचल प्रदेश के नगर नियोजन और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने भाजपा पर देश को बांटने की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) भारत जैसे विविधताओं वाले देश के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि भाजपा धर्म के नाम पर देश को बांटकर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है, जो देशहित में नहीं है.
शिमला में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मंत्री धर्माणी ने कहा कि भारत एक बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक देश है. यहां विविधता ही हमारी पहचान है. ऐसे में समान नागरिक संहिता जैसे कानून लाना देश की सामाजिक संरचना को कमजोर करने का काम करेगा. भाजपा इस मुद्दे को केवल अपनी राजनीति चमकाने और समाज में ध्रुवीकरण करने के लिए इस्तेमाल कर रही है.
उत्तराखंड में लागू किए गए समान नागरिक संहिता के सवाल पर मंत्री धर्माणी ने इसे वहां के सामाजिक ताने-बाने के लिए भी हानिकारक बताया. उन्होंने कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक एजेंडे के तहत ऐसे कानूनों को लागू कर रही है, जो केवल समाज में दरार पैदा करेंगे. भारत की ताकत उसकी विविधता में है. अगर इसे समाप्त करने की कोशिश की जाएगी, तो इसका दुष्प्रभाव पूरे देश पर पड़ेगा.
केंद्रीय बजट में हिमाचल को विशेष तवज्जो देने की मांग
आगामी केंद्रीय बजट को लेकर मंत्री धर्माणी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां देश के अन्य राज्यों से अलग हैं. यहां पहाड़ी इलाकों में विकास कार्यों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त खर्च आता है. ऐसे में केंद्र सरकार को बजट में हिमाचल के लिए विशेष तवज्जो देनी चाहिए. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हर बार हिमाचल की अनदेखी की जाती है.
मंत्री ने मांग की कि हिमाचल प्रदेश को विकासशील देशों की तर्ज़ पर ‘ग्रीन बोनस’ दिया जाए. उन्होंने कहा कि हमारे राज्य का बड़ा हिस्सा वन क्षेत्र में आता है, जो देश और दुनिया के पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाता है. केंद्र सरकार को हिमाचल को इस योगदान के लिए विशेष अनुदान देना चाहिए.
मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोगों ने हमेशा देश के विकास में योगदान दिया है. लेकिन केंद्र सरकार का रवैया राज्य के प्रति उपेक्षापूर्ण रहा है. हिमाचल के पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी ढांचे के लिए अधिक वित्तीय मदद की जरूरत है. केंद्र को यह समझना चाहिए और इसे बजट में प्राथमिकता देनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को हिमाचल जैसे राज्यों की अनदेखी बंद करनी चाहिए और यहां की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बजट तैयार करना चाहिए.
हिन्दुस्थान समाचार