शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार को एक महत्वपूर्ण और आवश्यक सुझाव दिया है. न्यायालय ने अपने फैसले में यह कहा कि 75 वर्ष से अधिक आयु के उन अनुसूचित जाति और जनजाति परिवारों को जो आरक्षण का लाभ उठाकर सम्पन्न हो गए हैं, अब उन्हें भविष्य में आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. इससे पहले भी सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षित जातियों से क्रीमीलेयर को हटाने का सुझाव दिया था.
शान्ता कुमार ने शुक्रवार काे एक बयान में इस सुझाव का समर्थन करते हुए कहा कि आरक्षित जातियों के कुछ प्रभावशाली परिवारों ने कई बार आरक्षण का लाभ उठाया, जबकि कई गरीब परिवार एक भी बार इसका लाभ नहीं उठा सके. उन्होंने कहा कि यह कदम आरक्षण के वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
उन्हाेंने ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत में लगभग 19 करोड़ लोग रात को भूखे पेट सोते हैं, जिनमें से 75 प्रतिशत आरक्षित जातियों से हैं. उनका मानना है कि अगर आरक्षण सभी को बराबरी से मिलता, तो इतने वर्षों के बाद भी आरक्षित जातियों में इतनी गरीबी नहीं होती.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने हिमाचल सरकार से विशेष आग्रह किया कि सुप्रीम कोर्ट के इस महत्वपूर्ण सुझाव को शीघ्र लागू किया जाए.
हिन्दुस्थान समाचार