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आस्था के महाकुम्भ में विशेष महत्व रखते हैं ‘कल्पवासी’, जानिए इनके बारे में

पवित्र त्रिवेणी के तट पर आयोजित हो रहे महाकुम्भ को दिव्य-भव्य बनाने की तैयारी की जा रही है. आयोजन को लेकर देश-विदेश के लोगों में उत्साह और जिज्ञासा है.

Yenakshi Yadav by Yenakshi Yadav
Jan 9, 2025, 01:57 pm GMT+0530
Mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025

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कुम्भ नगर: पवित्र त्रिवेणी के तट पर आयोजित हो रहे महाकुम्भ को दिव्य-भव्य बनाने की तैयारी की जा रही है. आयोजन को लेकर देश-विदेश के लोगों में उत्साह और जिज्ञासा है. हर कोई ख़ुद को इस पल का साक्षी बनाना चाहता है.इन सबके बीच आस्था के इस महाकुम्भ की जो सबसे अहम कड़ी है वह है यहां आने वाले ‘कल्पवासी’. प्रति वर्ष की तरह इस बार भी माघ महीने में कल्पवासियों की आस्था से यह महाकुम्भ दिव्य होने वाला है.

पौष पूर्णिमा से शुरू होने वाले कल्पवास में अभी से कल्पवासियों का आना शुरू हो गया है,इसकी तैयारियां हो रहीं है.’हिन्दुस्थान समाचार’ ने इन कल्पवासियों से बात की.

रायबरेली से आये दिनेश पांडे कई वर्षों से कल्पवास कर रहे हैं,दिनेश पांडे का कहना है कि उन सबके लिए कल्पवास अलौकिक अनुभव देने वाला होता है. अम्बुज व रविकांत कहते हैं कड़ाके की ठंड और सुविधाओं का टोटा इसमें कोई मायने नहीं रखता है.कहते हैं कि इन बार की व्यवस्था वाकई दिव्य है,सभी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो रहीं है.अपने टेंट की व्यवस्था बनाने में जुटे कल्पवासियों का कहना है कि भीड़ होने के चलते वह लोग कल्पवास शुरू होने के छह दिन पहले ही आ गए है.हालांकि इन सबके बीच महंगाई कल्पवासियों को जरूर परेशान जरूर कर रही है,लेकिन आस्था के आगे इन्हें महंगाई की कोई चिंता नहीं है. प्रतापगढ़ से आये उमाकांत,रामलखन मिश्र का कहना है कि सामान्य कुटिया का रेट सात हजार पहुंच गया है. गोल वाला टेंट पहले सात-आठ हजार में मिल जाता था, अब 15 हजार का है.

उल्लेखनीय है कि कल्पवासियों के टेंट की व्यवस्था मेला प्रशासन नहीं करता. टेंट कुछ संस्थाएं बनाती हैं, जिन्हें मेला प्रशासन मामूली दर पर जमीन उपलब्ध कराता है. यहीं पर संस्थाएं अपने कल्पवासियों के शिविर लगवाती हैं. प्रयागराज के ओमप्रकाश के अनुसार टेंट से लेकर जरूरत की सारी सुविधाओं के दाम 30 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा दिए गए हैं. मगर, उनका उत्साह कम नहीं पड़ा है. कल्पवासी तीर्थ पुरोहितों के ही शिविरों में प्रवास करते हैं. प्रयागवाल सभा के अध्यक्ष शिव शर्मा कहते हैं जो टेंट ढाई हजार में मिलते थे, वह चार हजार रुपये के मिल रहे हैं. इसी कारण शिविर महंगे हो गए हैं.

जानिए क्या है कल्पवास?

संगम की रेती पर माघ के पूरे महीने निवास कर पुण्य फल प्राप्त करने की साधना को ही कल्पवास कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, कल्पवास की न्यूनतम अवधि एक रात्रि हो सकती है. तीन रात्रि, तीन महीना, छह महीना, छह वर्ष, 12 वर्ष या जीवनभर भी कल्पवास किया जा सकता है. मान्यता है कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश होने के साथ एक मास के कल्पवास से इच्छित फल की प्राप्ति होती है. जन्म जन्मांतर के बंधनों से भी मुक्ति मिलती है. पुराणों के अनुसार, एक कल्पवास का फल उतना ही है, जितना सौ साल तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या करने का. महाकुंभ में लाखों साधु-संतों के साथ आम लोग भी कल्पवास करते हैं. कल्पवास पौष पूर्णिमा स्नान के साथ 13 जनवरी से शुरू होकर एक माह बाद माघी पूर्णिमा तक चलेगा.

कल्पवास की दिनचर्या बेहद कठिन होती है इसमें श्रद्धालु एक बार भोजन करते हैं और तीन बार स्नान. सुबह गंगा स्नान कर पूजा-अर्चना से दिनचर्या शुरू होती है. शास्त्रों के अनुसार, कल्पवासी को दिन में तीन बार (भोर में, दोपहर और शाम ) गंगा स्नान करना चाहिए. एक बार भोजन और एक बार फलाहार लेना चाहिए. खाने-पीने में अरहर की दाल, लहसुन और प्याज जैसी चीजें वर्जित हैं.

हिन्दुस्थान समाचार

Tags: MahaKumbh 2025PrayagrajPrayagraj Kumbh 2025SanatanUttar Pradesh
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