शिमला: हिमाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री व परिवहन मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने पूंजी निवेश के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) प्राप्त करने की समय सीमा को 31 मार्च 2025 तक बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि राज्य पर वित्तीय दबाव को कम करने के लिए स्क्रैपिंग प्रोत्साहन ऋण के बजाय अनुदान के रूप में प्रदान किए जाएं.
नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित परिवहन मंत्रियों की राष्ट्र स्तरीय बैठक और परिवहन विकास परिषद की बैठक में मुकेश अग्निहोत्री ने यह आग्रह किया.
बैठक में मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल प्रदेश में परिवहन क्षेत्र से संबंधित कई महत्वपूर्ण मामले उठाए और इनके समाधान के दृष्टिगत केंद्र सरकार से सहयोग का आग्रह किया. उन्होंने वाहन स्क्रैपिंग नीति के वित्तीय बोझ का मामला भी उठाया क्योंकि हिमाचल प्रदेश को अपनी भौगोलिक स्थिति और कम वाहनों की संख्या के कारण विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिससे स्क्रैपिंग के लिए वाहनों की असेंबली महंगी और पेचिदा हो जाती है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को 7,000 से अधिक सरकारी वाहनों को स्क्रैप करना होगा, जिससे राज्य के महत्त्वपूर्ण विभागों के कामकाज पर असर पड़ेगा. उन्होंने स्क्रैपिंग नीति के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अधिक अनुकूल वित्तीय सहायता संरचना का भी आग्रह किया.
केन्द्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि वह स्थिति से भली-भांति अवगत हैं और पहाड़ी राज्यों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेशों के हितों की रक्षा की जाएगी.
मुकेश अग्निहोत्री ने केंद्रीय मंत्री से एटीएस के तहत प्रोत्साहन प्राप्त करने और वाहनों को स्क्रैप करने की तिथि 31 जनवरी से बढ़ाकर 31 मार्च करने का आग्रह किया. केंद्रीय मंत्री ने मामले का संज्ञान लिया और कहा कि मामला विचाराधीन है.
उप-मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश में संचालित अखिल भारतीय पर्यटक परमिट (एआईटीपी) बसों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों पर भी चर्चा की. यह एआईटीपी बसें राज्य में स्टेज कैरिज बसों के रूप में चल रही हैं, हालांकि उनके पास कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट (एआईटीपी) है. एआईटीपी और स्टेज कैरिज के बीच करों की मात्रा में बहुत अंतर है.
उन्होंने केंद्र सरकार से एआईटीपी बसों और स्टेज कैरिज बसों के लिए समान अवसर निर्धारित करने का आग्रह किया क्योंकि यह असमानता अनुचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे रही है जिससे विशेष रूप से राज्य परिवहन उपक्रमों (एसटीयू) को नुकसान हो रहा है. उन्होंने बस अड्डो में एआईटीपी निजी ऑपरेटरों को स्थान आवंटित करने के बारे में भी चिंता व्यक्त की, जो उन्हें प्रभावी रूप से स्टेज कैरिज ऑपरेटर के रूप में कार्य करने की अनुमति देता है, जिससे एसटीयू के लिए चुनौतियां और बढ़ जाती हैं.
उप-मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और एआईटीपी ऑपरेटरों द्वारा स्थान के दुरुपयोग को रोकने के लिए स्पष्ट नियम और दिशा-निर्देश बनाए जाने चाहिए.
नितिन गडकरी ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत सरकार के सचिव (एमओआरटीएच) की अध्यक्षता में सभी राज्य सचिवों की समिति की बैठक में विस्तार से विचार-विमर्श किया जाएगा.
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि संबंधित राज्य में स्थापित आरवीएसएफ (पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा) में गैर-सरकारी स्वामित्व वाले वाहन को स्क्रैप करने के लिए प्रोत्साहन को किसी भी आरवीएसएफ के रूप में बदला जाना चाहिए, क्योंकि राज्य में वर्तमान में कोई आरवीएसएफ कार्यात्मक नहीं है.
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार 1734.70 करोड़ रुपये की लागत से शहरी रोपवे नेटवर्क परियोजना विकसित कर रही है जो भारत का पहला और दुनिया का सबसे बड़ा रोपवे नेटवर्क होगा. यह परियोजना बोलिविया के बाद विश्व में दूसरी सबसे बड़ी परियोजना होगी. इस परियोजना का कार्य जून-2025 में शुरू किया जाएगा और पांच वर्षों की अवधि में पूरा होने की संभावना है. इस परियोजना से राज्य के सार्वजनिक परिवहन में सुधार होगा और यातायात प्रदूषण में भी कमी आएगी.
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