धर्मशाला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विधानसभा में कहा कि राधा स्वामी संस्था का सभी दिल से सम्मान करते हैं और आस्था का केंद्र भी है. ये संस्था लोगों की मदद करती है. कोरोना काल में भी संस्था ने बहुत सहयोग किया था. इस विधेयक से उनकी मदद तो समझ आती है और विशेष तौर पर इनकी मदद के लिए कोई इनकार नहीं कर रहा है, लेकिन इस एक्ट का दुरुपयोग हो सकता है. ये मामला हमारी सरकार के समय भी आया था. केबिनेट में चर्चा के बाद आगे नहीं बढ़ पाया. अब सरकार ये विधेयक लेकर आई तो ठीक है, लेकिन जल्दीबाजी में विधेयक पारित न करें. एक बार इसे सेलेक्ट कमेटी में लाया जाए, निश्चित तौर पर उचित हल निकलेगा. हम विधेयक का विरोध नहीं कर रहे, मुख्यमंत्री जबर्दस्ती ऐसे शब्द बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांगड़ा में भी कई संतों ने ढेरे बना लिए. प्रदेश हित सर्वोपरि होना चाहिए.
इस पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विधयेक सेलेक्ट कमेटी में ले जाने की बात करना विरोध नहीं तो क्या है. इसको अनदेखा विरोध कहा जाता है. विधेयक को लेकर विपक्ष दोमुंही बात कर रहा है. पहले भाजपा के लोग भोटा अस्पताल में जाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और जनता की मांग का समर्थन कर रहे थे. अब सदन में विधेयक का विरोध कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधेयक के अनुसार धर्मार्थ संस्थाएं 150 बीघा से अधिक भूमि एक बार में 30 हेक्टेयर भूमि ले सकती हैं. उसमें शर्त ये रहेगी कि इस भूमि में धर्मार्थ के की काम होने चाहिए. कांग्रेस सरकार तो बिल्कुल नियमों के तहत काम कर रही है. इसके विपरीत पूर्व धूमल सरकार ने तो मात्र एक अधिसूचना जारी करके लैंड सीलिंग एक्ट में संस्थाओं की अतिरिक्त समय दे दिया था.
वहीं चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि राधा स्वामी संस्था को लाभ देने की बात स्वागत योग्य है, लेकिन एक्ट बनने की बाद अन्य संस्थायें उसकी दुरपयोग करेंगी. इसलिए विधेयक को सलेक्ट कमेटी में लाया जाए. सीएम इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं.
उधर कृषि मंत्री चौधरी चन्द्र कुमार ने कहा कि ये हिमाचल की जमीन है. धारा-118 से पहले ही हिमाचल की बहुत बड़ी गलती हुई थी. विशेष केस के तौर पर तो ठीक है, लेकिन भविष्य के इसके नुकसान होंगे.
हिन्दुस्थान समाचार
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