शिमला: शिमला की जिला अदालत ने संजौली मस्जिद में बनाई गई अवैध मंजिलों को गिराने के नगर निगम शिमला आयुक्त कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है. अदालत ने शनिवार को मुस्लिम पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को तोड़ने के आदेश को चुनौती दी गई थी. इस फैसले से याचिकाकर्ता मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है. अदालत के फैसले पर सबकी नजरें लगीं थीं.
संजौली मस्जिद पिछले कुछ समय से विवादों में रही है. मस्जिद के भीतर अवैध रुप से मंजिलों का निर्माण करने का आरोप था. इसकी तीन मंजिलों को शिमला नगर निगम ने अवैध माना और इन मंजिलों को गिराने का आदेश जारी किया था. आरोप था कि इन मंजिलों का निर्माण बिना किसी अनुमति और कानूनी प्रक्रिया के कराया गया है. नगर निगम आयुक्त कोर्ट के आदेश पर मस्जिद कमेटी ने मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने का कार्य शुरू कर दिया है और अब तक मस्जिद की एटिक (छत के नीचे का हिस्सा) को हटा दिया गया है.
मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने नगर निगम आयुक्त कोर्ट के फैसले के खिलाफ शिमला की जिला अदालत में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने मस्जिद की अवैध मंजिलों को गिराने के आदेश को चुनौती दी थी.
याचिका में संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ की वैधता को लेकर सवाल उठाए गए. इस पर अदालत ने वक्फ बोर्ड से मस्जिद कमेटी का रिकार्ड तलब किया था. पिछली सुनवाई में वक्फ बोर्ड ने अदालत में दायर अपने शपथ पत्र में स्पष्ट किया कि वर्ष 2006 से मोहम्मद लतीफ मस्जिद कमेटी के प्रधान हैं.
याचिकाकर्ता मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के अधिवक्ता विश्व भूषण ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जिला अदालत से हमारी अपील खारिज कर दी गई है और अब नगर निगम आयुक्त कोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा. उन्होंने कहा कि याचिका में हमारा तर्क था कि नगर निगम कोर्ट ने जिस मस्जिद कमेटी को अवैध निर्माण तोड़ने के लिए अधिकृत किया है, वो वक्फ बोर्ड एक्ट की धारा 18 के तहत मस्जिद कमेटी के अधिकृत पदाधिकारी नहीं हैं. इसके अलावा वे नगर निगम आयुक्त की कोर्ट में मस्जिद मामले में पेश नहीं हो सकते थे.
वहीं मस्जिद कमेटी के प्रधान लतीफ ने कहा कि नगर निगम आयुक्त के आदेश पर संजौली मस्जिद की एक मंजिल तोड़ दी गई है. फिलहाल लेबर की कमी की वजह से ध्वस्तीकरण कार्य बंद है. नगर निगम कोर्ट को अवगत करवा दिया गया है कि सर्दियों में लेबर के घर चले जाने से मार्च माह तक मस्जिद के अवैध निर्माण को तोड़ने का कार्य शुरू नहीं हो पाएगा.
संजौली के स्थानीय लोगों के अधिवक्ता जगत पॉल ने याचिका खारिज करने के जिला अदालत के निर्णय का स्वागत किया है. उन्हाेंने कहा कि यह फैसला काबिल-ए-तारीफ है. मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने बीते 29 अक्टूबर को जिला अदालत में अपील दाखिल की थी और इसे एक माह के भीतर निपटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि हम पहले दिन से कह रहे थे कि मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी का इस मामले में अपील करने का कोई औचित्य नहीं था और न यह प्रभावित पार्टी है. उन्होंने कहा कि संजौली मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को गिराने की समय सीमा 14 दिसंबर को पूरी हो जाएगी. अभी तक एक मंजिल ध्वस्त की गई है. प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम आयुक्त कोर्ट को आगामी 20 दिसंबर तक इस मामले के निपटाने के आदेश दिए हैं और अब मस्जिद की अन्य दो मंजिलों पर फैसला आना बाकी है.
गौरतलब है कि संजौली की इस विवादित मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर बीते पांच अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने सुनवाई करते हुए मस्जिद की तीन मंजिलों को अवैध ठहराया और मस्जिद कमेटी को इन्हें ध्वस्त करने के आदेश दिए. इन आदेशों की अनुपालन करते हुए मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को गिराने का काम चला रखा है और मस्जिद का छत हटा दिया गया है.
मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर हुआ था बवाल, हिन्दू संगठनों ने किया प्रदर्शन
संजौली मस्जिद विवाद बीते सितंबर माह से लगातार चर्चा में है. इस मामले को लेकर शिमला में हिंदू समाज के लोग इकट्ठा होकर मस्जिद तोड़ने के लिए आंदोलन किए. 11 सितंबर को संजौली में हुए उग्र प्रदर्शन में प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ कर मस्जिद स्थल के समीप आ गए थे. इन्हें खदेड़ने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करनी पड़ी थी. इस दौरान पुलिस कर्मियों सहित कई लोग जख्मी हुए थे.
यह विवाद तब सामने आया जब मल्याणा क्षेत्र में विक्रम सिंह नाम के एक स्थानीय शख्स के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की थी. इस मारपीट को लेकर विक्रम ने ढली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई थी. आरोप है कि मारपीट को अंजाम देकर आरोपित मस्जिद में छिप गए थे. इसके बाद हिंदू संगठनों ने संजौली मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन किया और अवैध बताकर मस्जिद को गिराने की बात कही. देखते ही देखते ये मामला और तूल पकड़ लिया.
हिन्दुस्थान समाचार