भारत के संविधान की आज 75वीं वर्षगांठ है. आज का दिन संविधान दिवस के रुप में मनाया जाता है क्योंकि 26 नवंबर 1949 को देश का संविधान बनकर तैयार हुआ था. यह क्षण हर भारतीय को गौरवांवित करने वाला है. संपूर्ण राष्ट्र आज संविधान का निर्माण करने वाले उन सभी संविधान सभा के सदस्यों को कोटि-कोटि नमन कर रहा है.
संविधान के 75 साल पूरे होने के अवसर फर आज संविधान सदन यानि पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल के कार्यक्रम होने जा रहा है. इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सभी सांसद उपस्थित होंगे.
कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष स्वागत भाषण देंगे. इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगे. इस अवसर पर संविधान की 75वीं वर्षगांठ को दर्शाने वाला सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया जाएगा. साथ ही ‘भारतीय संविधान का निर्माण: एक झलक’ और ‘भारतीय संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा’ टाइटल वालीं किताबें लॉन्च होंगी। संस्कृत और मैथिली में संविधान की प्रतियां भी जारी की जाएंगी। भारतीय संविधान के निर्माण के ऐतिहासिक महत्व और यात्रा वाली शॉर्ट फिल्म भी दिखाई जाएगी.
दो वर्ष, 11 माह और 18 दिन में हुआ तैयार संविधान
देश में हर साल संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है. इसी तारीख को 1949 में भारत का संविधान अपनाया गया था. 15 अगस्त, 1947 को आजादी के बाद संविधान की आवश्यकता को महसूस किया गया. संविधान तैयार करने में दो वर्ष, 11 माह और 18 दिन का वक्त लगा. भारत गणराज्य का संविधान 26 जनवरी 1949 को बनकर तैयार हुआ. इसे आधिकारिक तौर पर लागू 26 जनवरी, 1950 को किया इसीलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है.
26 जनवरी की तारीख इसलिए चुनी क्योंकि इसी दिन साल 1930 में कांग्रेस ने देश की पूर्ण आजादी का नारा दिया था. 26 जनवरी 1930 को ही पहली बार पूर्ण स्वराज या स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था. इसी दिन को याद करने के लिए 26 जनवरी का दिन चुना गया.
इसलिए मनाया जाता है 26 नवंबर को संविधान दिवस
26 नवंबर को संविधान को अनधिकृत तौर पर इसलिए लागू किया गया, क्योंकि इस दिन संविधान निर्माण समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ. सर हरिसिंह गौर का जन्म हुआ था. पहली बार संविधान दिवस 2015 से मनाया गया. तब से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
जानिए, 2015 से ही शुरुआत क्यों?
2015 में संविधान दिवस मनाने की शुरुआत होने की भी एक बड़ी वजह है. वर्ष 2015 में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती थी इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए इस वर्ष से संविधान दिवस मनाने का फैसला लिया. इस दिवस को मनाने का प्रमुख मकसद संविधान के महत्व और डॉ. आंबेडकर के विचारों को फैलाना है. भारतीय संविधान के निर्माण का श्रेय डॉ. आंबेडकर को दिया जाता है. वो संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे. उन्हें भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है. संविधान सभा में 389 सदस्य थे और डॉ. राजेंद्र प्रसाद इसके अध्यक्ष थे.
दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. इसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भाग हैं. भारतीय संविधान संघात्मक और एकात्मक दोनों तरह का है. हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों का भी जिक्र है.
जब संविधान बनकर तैयार हो गया तो संविधान पर 284 सदस्यों ने साइन किए थे इसमें 15 महिला सदस्य भी शामिल थीं. जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर हो रहे थे उस दिन बाहर बारिश हो रही थी. सदन में बैठे सदस्यों ने बारिश को बहुत ही शुभ शगुन माना था.