महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने कमाल कर दिया है. खबर लिखे जाने जाने तक महायुति गठबंधन 288 में से 220 सीटों पर आगे है. इससे साफ है अब तक रुझानों के अनुसार महाराष्ट्र में महायुति सरकार बनाने जा रही है. आइए जानते हैं वो कौन से कारण हैं जिससे महायुति वापसी करने में सफल हो रही है.
शिंदे को सीएम बनाए रखना काम आया
बीजेपी ने शिंदे को सीएम बनाकर ऐसा दांव चला जिससे एमवीए चारों खाने चित्त हो गई. वजह है कि शिंदे मराठा क्षत्रप हैं. बीजेपी बीच बीच में शिंदे को फिर सीएम बनाए जाने की बात जनता को बताती रही.जरांगेर पाटील के मराठा आंदोलन का फायदा भी एमवीए नहीं उठा पाया है. शिवसेना (यूबीटी) को कमजोर करने में भी शिंदे ने अहम रोल अदा किया. शिंदे मराठा सम्मान का प्रतीक बन गए. वहीं ठाकरे परिवार बाहरी साबित करने में भी सफल रहे.
लड़की बहिन योजना
महायुति की जीत में लड़की बहिन योजना ने भी अहम रोल अदा किया. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आम जनता के खाते में चार महीनें से पैसे देने शुरू किए. इसके चलते महिलाओं ने महायुति को वोट किया. ये रणनीति कारगर साबित हुई.
हिंदू- मुस्लिम दोनों को साधने की कोशिश
महायुती ने वोटों के ध्रूवीकरण की पूरी कोशिश की. नेताओं की ओर बटेंगे तो कटेंगे के नारे पर जोर दिया. दूसरी ओर एनसीपी के मुस्लिम कैंडिडेट उतारे और ये संदेश दिया कि वो मुस्लिम विरोधी नहीं है. वहीं चुनाव से ठीक पहले शिंद सरकार ने मदरसों के शिक्षकों की सैलरी बढ़ाई. कहा जा रहा है कि इसी कारण शिवशेना शिंदे और एनसीपी को भर भर वोट दिया है.
बीजेपी की नई रणनीति
बीजेपी ने मराणा राज्य की स्थानीय राजनीति को अहमियत दी. हरियाणा की तरह ही यहां भी पीएम मोदी की रैली कम कराई गई. लोकल नेताओं को प्रचार में आगे रखा गया. महाराष्ट्र में इस बार ज्यादा सभाएं डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने की.
संघ और बीजेपी ने मिलकर किया काम
आरएसएस से बीजेपी ने रिश्ते सुधारे. ये बीजेपी के लिए काम कर गया. संघ के कार्यकर्ता भाजपा का संदेश घर धर तक ले गए.संघ के लोग घर घर पहुंचकर जनता से अपील कर रहे थे कि लोकसभा चुनावों के परिणामों से सीख लें और महाराष्ट्र में बीजेपी को वोट दें.