शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना को विस्तार प्रदान करते हुए परित्यक्त और सरेंडर बच्चों को भी इसके दायरे में शामिल किया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान में यह योजना प्रदेश के छह हजार अनाथ बच्चों को लाभ पहुंचा रही है. अब यह योजना विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहे परित्यक्य बच्चों की सहायता करेगी.
उन्होंने कहा कि परित्यक्त बच्चों से तात्पर्य ऐसे बच्चों से है जिनके जैविक या दत्तक माता-पिता, अभिभावकों ने उनका त्याग कर दिया है, जबकि सरेंडर बच्चों में वह बच्चे शामिल हैं जिनका माता-पिता या अभिभावकों ने शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कारणों से त्याग किया है. इन बच्चों को इस योजना के तहत लाभान्वित करने से उनका सम्पूर्ण विकास सुनिश्चित होगा. उनकी मानसिक, आर्थिक, सामाजिक एवं भावनात्मक आवश्यकताएं भी पूर्ण होगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विस्तारित मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत जिलों में बाल कल्याण समितियां पात्र बच्चों को प्रमाण पत्र जारी करेगी. उन्होंने कहा कि अन्तिम स्वीकृति के उपरांत इन बच्चों को 14 वर्ष की आयु तक एक हजार रुपये और 18 वर्ष की आयु तक 2500 रुपये प्रतिमाह वित्तीय सहायता मिलेगी. इसके अतिरिक्त इन बच्चों को 27 वर्ष की आयु तक प्रतिमाह 4 हजार रुपये का जेब खर्च दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इनकी उच्च शिक्षा के लिए व्यय भी वहन करेगी और छात्रावास उपलब्ध न होने की स्थिति में पीजी की सुविधा के लिए 3 हजार रुपये प्रदान किए जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन बच्चों को स्टार्ट-अप शुरू करने के लिए 2 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे जिससे वे स्वावलंबी बन सके. इसके साथ घर बनाने के लिए उन्हें 3 लाख रुपये की वित्तीय सहायता और विवाह के लिए 2 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि देश में अनाथ बच्चों की देखभाल और सहायता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कानून बनाने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य है. इन बच्चों की शिक्षा, कल्याण और समग्र विकास सुनिश्चित करने के साथ-साथ प्रदेश सरकार इनके भ्रमण के दौरान तीन सितारा होटल में ठहरने और हवाई यात्रा अनुभव के लिए उनकी वार्षिक हवाई यात्रा को भी वित्त पोषित करेगी.
हिन्दुस्थान समाचार
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