शिमला: हिमाचल प्रदेश को अगले तीन वर्षों में आत्मनिर्भर बनाने का दावा करने वाली सुक्खू सरकार संसाधन जुटाने की कवायद में जुटी है. व्यवस्था परिवर्तन का नारा बुलंद करने वाली सुक्खू सरकार अब एक अनूठा टैक्स लगाने जा रही है. इससे शराबियों को झटका लगने वाला है.
दरअसल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार हिमाचल प्रदेश में एक नया सेस (टैक्स) लगाने वाली है जिसका नाम पीके (प्राकृतिक खेती) सेस होगा. इस टैक्स के लगने से शराब के शौकीनों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी.
शिमला जिला के रामपुर के दत्तनगर में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐलान किया है कि हिमाचल प्रदेश में शराब पर पीके सेस लगाया जाएगा. इससे पहले सरकार ने शराब की हर बोतल पर 10 रुपये मिल्क सेस भी लगाया है, जिससे एक साल में 120 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. सरकार अब शराबियों को पूरी तरह से निचोड़ने की तैयारी में है और अब मिल्क सेस के बाद पीके सेस लगाने की मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी है.
मुख्यमंत्री सुक्खू ने जनसभा में कहा कि शराब की प्रत्येक बोतल पर 10 रुपया मिल्क सेस लगाकर पिछले वित्तीय वर्ष में 120 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. इस रकम को गाय-भैंस पालकों से हर दिन दस लीटर दूध खरीदने की योजना पर खर्च किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य में अब पीके सेस लगेगा. इस पर मुख्यमंत्री ने मजाकिया अंदाज में कहा कि जो पीने वाले हैं, उन पर टैक्स लगेगा.
मुख्यमंत्री बोले कि जब उन्होंने इस सेस की अधिकारियों से चर्चा की तो वे पूछने लगे कि यह किस तरह का टैक्स होगा. इस पर उन्होंने अधिकारियों को बताया कि इसका मतलब प्राकृतिक खेती सेस है और इसका छोटा नाम पीके सेस है यानी इस सेस से मिलने वाली रकम प्राकृतिक खेती जैसे मक्का व गेंहू की खेती पर खर्च किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि लोग प्राकृतिक खेती कर समृद्ध बनें और प्रदेश को भी खुशहाल बनाएं. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार सत्ता में सत्तासुख के लिए नहीं आई है, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आई है. जब तक हमारी सरकार है, लोगों की सम्पदा को लूटने नहीं दिया जाएगा और न लुटाने दिया जाएगा.
वित्तीय संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार ले रही कड़े फैसले
बता दें कि हिमाचल प्रदेश वित्तीय संकट से जूझ रहा है और यह मुद्दा विधानसभा के मानसून सत्र में भी छाया रहा. सरकार को मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट मंत्रियों के दो महीने का वेतन विलंबित करना पड़ा. कुछ महीने अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन पहली तारीख को नहीं मिला. हालांकि दिवाली से पहले सरकार ने वेतन व पेंशन देकर कर्मचारियों व पेंशनरों को रिझाने के साथ यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि राज्य में किसी तरह का वित्तीय संकट नहीं है. लेकिन राज्य पर बढ़ता कर्ज का बोझ और सीमित संसाधन किसी से छिपे नहीं हैं. केंद्र से लगातार कम हो रही रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट से भी राज्य की आर्थिक हालात खराब हुई है.
इस सबके बीच राज्य की सरकार ने वर्ष 2027 तक हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है जिसे पूरा करने के लिए सरकार कड़े फैसले ले रही है. मुख्यमंत्री सुक्खू कई बार कह चुके हैं कि प्रदेश को वर्ष 2027 तक आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनकी सरकार आने वाले समय में कड़े फैसले लेगी.
हिन्दुस्थान समाचार