मंडी: मांडव्य ऋषि के नाम से मशहूर मंडी शहर में मांडव्य उत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया. भगवान शिव की नगरी मंडी शहर में पहली बार राज देवता माधोराम की पालकी मांडव्य ऋषि की तपोस्थली ब्यास नदी के तट पर स्थित मांडव शीला के पास पहुंची. मांडव्य ऋृषि जिन्हें भगवान शिव के पुरोहित के रूप में जाने जाते हैं.
जनश्रुति के अनुसार मंडी में यहीं कहीं भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का मंडप सजा था. कहते हैं कि विवाह के बाद ही भगवान शिव माता पार्वती को सोते हुए छोड़ कर कैलाश रवाना हो गए और माता पार्वती की जब नींद खुली तो शिव को वहां न पाकर उनका रोते रोते बुरा हाल हो गया. इस दौरान इस विवाह में पुरोहित की भूमिका निभाने वाले ऋषि जिनका नाम मंडप था ने शिव का आहवान किया और उन्हें वापस उसी स्थल पर वापस बुलाया. उवही मंडप आगे चलकर ऋषि मांडव्य के नाम से विख्यात हुए. जिन्होंने यहां पर तपस्या की और इस नगरी का नाम पाणिनी की अष्टध्याया के अनुसार पहले मंडवती नगरी था. बाद में मांडव्य नगरी और फिर बिगड़ते-बिगड़ते मंडी नाम पड़ा. मांडव्य शीला जिसे कालसरा की चटटान भी कहा जाता है. इसकी ऐतिहासिकता का महत्व उस समय ओर बढ़ गया जब दसवें सिख गुरू गोबिंद सिंह जी महाराज ने 17वीं ई. में यहीं आसपास अस्थाई शिविर लगाकर यहां पर तपस्या की थी.
नगर निगम मंडी द्वारा आयोजित प्रथम मांडव्य उत्सव हिंदु-सिख संप्रदायों के आसपी समन्वय की झलक देखने को मिली. जिसमें सर्वप्रथम प्रात: 10 बजे राज देवता माधोराय की पूजा अर्चना नगर निगम के महापौर वीरेंद्र भट्ट शर्मा एवं पार्षदों द्वारा की गई. तत्पश्चात माधोराय की अगुवाई में एक भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया. जिसमें स्थानीय विधायक अनिल शर्मा, नगर निगम के समस्त पार्षदगण, निगम के आयुक्त एच.एस. राणा, सहायक अधिशाषी अभियंता ई. एच.सी जसवाल, सहायक अभियांत व अन्य कर्मचारी अधिकारी मौजूद रहे.
यह शेभायात्रा चौहटा बाजार, मोती बाजार, समखेतर कन्या पाठशाला से होकर बाबा भूतनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद पड्डल गुरूद्वारा के समीप स्थित मांडव शीला तक पहुंची ,जहां पर मांडव्य शीला में यज्ञ-पूजा की गई . इस शोभा यात्रा में महाकाली पुरानी मंडी, माता नैना उगरतारा टाराना, विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं, धार्मिक एवं सामाजिक,सांस्कृतिक संगठनों व आमजनमानस ने बढ़चढ़ कर भाग लिया.
मांडव्य उत्सव के दौरान पुरातत्व चेतना संघ एवं हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी के संस्थापक बीरबल शर्मा द्वारा मंडी शहर की प्राचीन एवं सांस्कृतिक धरोहरों को दर्शाते व जानकारी देने के उदेश्य से एक प्रर्दशनी लगाई गई. जबकि मांडव्य शीला पूजन एवं यज्ञ का आयोजन धर्म संघ द्वारा किया गया तथा ऐतिहासिक गुरूद्वारा प्रबंधन कमेटी पड्डल द्वारा जलपान व लंगर की व्यवस्था की गई.
हिन्दुस्थान समाचार