Kartik Purnima 2024: सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का खास महत्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर यानी आज है. कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान पूर्णिमा और त्रिपुरा पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. आज के दिन स्नान करना, दान और दीपदान करने का खास महत्व होता है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 15 नवंबर सुबह 06 बजकर 19 मिनट से शुरु होकर 16 नवंबर की सुबह 02 58 तक है. इस साल की कार्तिक पूर्णिमा थोड़ी ज्यादा लाभकारी है क्योंकि 30 साल बाद आज शश राजयोग बन रहा है. साथ ही आज का दिन और खास है क्योंकि आज गुरु नानक जंयती है जिसे गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी माता के नजदीक या गंगा में दीप जलाना काफी लाभकारी माना जाता है. कहा जाता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है. पूर्णिमा के दिन चांद अपने पूरे आकार में नजर आता है. इस दिन सत्यनारायण की पूजा करना भी अच्छा माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार आज के दिन भगवान शंकर ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था इसलिए इस दिन को त्रिपुरा पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानिए क्या है कार्तिक पूर्णिमा की पौराणिक कथाएं.
भगवान शिव ने किया था राक्षस त्रिपुरासुर का वध
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. त्रिपुरासुर राक्षस देवताओं के लिए संकट बन चुके थे. जिसके बाद भगवान शिव ने ब्रह्म जी और विष्णु की मदद से त्रिपुरासुर राक्षस का संहार किया. बाद में सभी देवी-देवताओं ने भगवान शंकर का धन्यवाद किया. तभी से आज के दिन भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है. साथ ही देवताओं ने आज के दिन काशी में आकर दीवाली का त्योहार भी मनाया था. तब से ही ये परंपरा आज कर काशी में चली आ रही है. मान्यता है कि आज के गंगा में दीपदान करने से पूर्वजों को शांति मिलती है. और शिव भक्तों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है.
सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का सिख धर्म में काफी विशेष महत्व है. आज ही के दिन गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. इस कारणवश आज के दिन को गुरु पूर्व या गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. सिख समुदाय में लोग गुरु नानक देवी जी के उपदेशों का स्मरण और पालन करते हैं.