शिमला: हिमाचल प्रदेश के पुरातन इतिहास, परंपरा और संस्कृति का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय लवी मेला सोमवार को शुरू हो गया. यह मेला न केवल अपनी संस्कृति बल्कि व्यापारिक मेले के रूप में भी प्रसिद्ध है. रामपुर बुशहर में चार दिन चलने वाले इस मेले का शुभारम्भ राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने किया. इस अवसर पर राज्यपाल की पत्नी जानकी शुक्ल भी उपस्थित थीं.
इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि सदियों से लवी मेले ने व्यापारिक मेले के रूप में अपनी पहचान कायम की है और वर्तमान में यह प्रदेश के सांस्कृतिक उत्सव के रूप में उभर रहा है. उन्होंने कहा कि यह मेला प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को प्रतिबिंबित करता है. उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष रामपुर में लोग व्यापारिक गतिविधियों में भाग लेने के साथ-साथ परंपरा, एकता और सौहार्द की भावना को सुदृढ़ होती है.
राज्यपाल ने कहा कि इस मेले का अपना ऐतिहासिक महत्त्व है और यह व्यापारिक गतिविधियों के साथ-साथ अपनी समृद्ध परंपराओं के लिए भी प्रसिद्ध है. विभिन्न राज्यों से आए सांस्कृतिक समूह एक मंच पर देश की विविध संस्कृतियों का प्रदर्शन कर अनेकता में एकता की भावना का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं. यह मेला संस्कृतियों, विचारों और व्यापारिक गतिविधियों का संगम है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में रामपुर का वाणिज्य और सांस्कृतिक केंद्र बन कर उभर रहा है. यह मेला लोगों के लिए आर्थिकी सुदृढ़ करने के साथ आपसी सामाजिक सम्बधों को सुदृढ़ भी करता है और इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को संबल मिलता है और प्रदेश की संस्कृति का संवर्धन होता है.
इस अवसर पर राज्यपाल ने माता भीमाकाली से प्रदेश के लोगों की खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रार्थना की और लवी मेले के सफल आयोजन के लिए आयोजकों के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि मेले में ऊनी वस्त्र, सूखे मेवे और अन्य पारंपरिक शिल्प कला का प्रदर्शन किया जाता है. यह मेला पारंपरिक कारीगरों, बुनकरों तथा किसानों को अपने उत्पाद प्रदर्शित करने और बेचने का सुनहरा अवसर उपलब्ध करवाता है. उन्होंने कहा कि इस उत्सव के माध्यम से संस्कृतियों का विलय हो रहा है. उन्होंने कहा कि कुंभ की तरह लवी मेला सांस्कृतिक पहचान कायम कर रहा है.
हिन्दुस्थान समाचार