नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना को कैबिनेट की मंजूरी दिये जाने पर खुशी जताते हुए कहा कि इससे देश के मेधावी छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए ऋण मिलना आसान हो जाएगा.
धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना के तहत देश के एक लाख मेधावी छात्रों को 10 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा, जिसमें 3 प्रतिशत की रियायत भी दी जाएगी। योजना के तहत यदि कोई छात्र देश के 860 राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) रैंक वाले संस्थानों में पढ़ना चाहता है और उन्हें ट्यूशन फीस, हॉस्टल फीस और किताबों आदि के लिए आर्थिक मदद चाहिए तो यह ऋण उपयुक्त होगा.
प्रधान ने कहा कि इसके लिए कोई कोलैटरल गारंटी देने की आवश्यकता नहीं होगी। इसमें किसी गारंटर की भी जरूरत नहीं होगी. इससे पहले की तमाम स्कीमों में इस प्रकार की कुछ न कुछ बाधाएं थीं। इस स्कीम में ऐसी बाधाओं को खत्म किया गया है. इसमें कुल 3,600 करोड़ रुपये के वित्तीय अनुदान की व्यवस्था की गई है। इसमें भारत की गरीब, वंचित, ग्रामांचल के मेधावी विद्यार्थियों को उच्च मानकी संस्थानों में पढ़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विकसित भारत के सपने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 8 लाख रुपये तक की वार्षिक पारिवारिक आय वाले छात्र 10 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण पर 3 प्रतिशत ब्याज सहायता पाने के पात्र होंगे। 7.5 लाख रुपये तक के ऋण 75 प्रतिशत क्रेडिट गारंटी के पात्र होंगे। शिक्षा ऋण पारदर्शी, छात्र-अनुकूल और डिजिटल आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से सुगम बनाए जाएंगे जो सभी बैंकों के लिए समान होगी। एनआईआरएफ के आधार पर देश के शीर्ष 860 उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश पाने वाले छात्रों को पीएम विद्यालक्ष्मी के तहत शिक्षा ऋण की सुविधा दी जाएगी. इसमें हर साल 22 लाख से अधिक छात्र शामिल होंगे। यह योजना गरीब और मध्यम वर्ग के लाखों छात्रों को सशक्त बनाएगी.
हिन्दुस्थान समाचार