नाहन: निर्माणाधीन ग्रीन कॉरिडोर नेशनल हाईवे-707 पर अवैध डंपिंग, कटान और जलस्त्रोतों के नुकसान की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. समाजसेवी नाथूराम चौहान ने नाहन में पत्रकारों से बातचीत में इस मुद्दे को उठाया जिसमें उन्होंने कहा कि पांवटा साहिब-शिलाई-मीनस एनएच-707 पर कार्यरत कंपनियों ने अवैध रूप से डंपिंग की है जिससे सैकड़ों बावड़ियां, जलस्रोत और छोटे नाले भर गए हैं.
नाथूराम चौहान ने बताया कि इस अवैध डंपिंग से सैकड़ों जलस्रोत लुप्त हो गए हैं और मलबे ने लोगों की भूमि को भी बर्बाद कर दिया है. उन्होंने मीडिया को जानकारी दी कि एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेश पर सड़क परिवहन मंत्रालय के नए निदेशक ने परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं. लेकिन इस समय कंपनियों के अधिकारी केवल लीपापोती करने में लगे हैं. सड़क के निर्माण में न तो सही तरीके से गटका बिछाया जा रहा है और न ही गुणवत्ता का ध्यान रखा जा रहा है; सीधे तौर पर तारकोल का प्रयोग किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि इस मामले को ग्रीन ट्रिब्यूनल में लाया गया है जहां ट्रिब्यूनल ने मंत्रालय को स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं. नाथूराम चौहान ने चेतावनी दी कि एनजीटी ग्रीन कॉरिडोर एनएच-707 पर नियमों की अवहेलना करने पर भारी जुर्माना लगा सकता है, और इस संबंध में सभी साक्ष्य प्रदान किए गए हैं. ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस मामले की सुनवाई 9 जनवरी 2025 को होगी.
नाथूराम ने बताया कि मंत्रालय द्वारा ग्रीन कॉरिडोर एनएच-707 में अवैध डंपिंग और जलस्त्रोतों के भारी नुकसान को लेकर सिरमौर के जिला उपायुक्त को निर्देश दिए गए थे कि सभी विभागों के साथ मिलकर इस परियोजना से हो रहे नुकसान की रिपोर्ट तैयार करें. लेकिन यह हैरानी की बात है कि जिला के विभिन्न विभागों ने डीसी के निर्देशों को अनदेखा किया है. इसके परिणामस्वरूप, एनएच-707 के निर्माण के दौरान अवैध डंपिंग और जलस्त्रोतों में मलबा फेंकने का कार्य अभी भी जारी है.
हिन्दुस्थान समाचार
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