शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का धन्यवाद किया जिसने दवाई उद्योग में भ्रष्टाचार के मामले का स्वतः संज्ञान लिया. उन्होंने कहा कि न्यायालय ने संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाई है, जो जानबूझकर मिलीभगत के चलते दवाओं की गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं.
शांता कुमार ने एक बयान में कहा कि सरकार से विशेष अनुरोध किया कि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए और उद्योग में आवश्यक सुधार किए जाएं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल प्रदेश दवाई उद्योग की वैश्विक पहचान बनाने के लिए यह कदम आवश्यक हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि इस उद्योग में सुधार नहीं किया गया तो यह विश्व स्तर पर हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से उम्मीद है कि आवश्यक कदम उठाए जाएंगे ताकि दवाई उद्योग को एक नया दिशा और मजबूती प्रदान की जा सके.
पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि भारत दवाई उद्योग के क्षेत्र में विश्वभर में अग्रणी बन रहा है. उन्होंने जैनरिक दवाई के मामले में भारत को “दुनिया की फार्मेसी” बताया और बताया कि हिमाचल प्रदेश में बनने वाली दवाइयों का 40 प्रतिशत उत्पादन होता है, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है.
शांता कुमार चिंता व्यक्त की कि कुछ भ्रष्ट और अयोग्य सरकारी अधिकारी इस उद्योग की संभावनाओं को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 9 महीनों में 150 दवाइयों के सैंपल फेल हुए हैं और कुछ देशों से भारतीय दवाओं से बच्चों की मौत के समाचार भी आए हैं.
हिन्दुस्थान समाचार
ये भी पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुकाजी मेला: दो दिन के भीतर बिके 250 प्लाट, व्यापारियों में उत्साह