शिमला: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आउटसोर्स आधार पर तैनात वोकेशनल शिक्षकों ने दिवाली पर वेतन का एरियर नहीं मिलने के विरोध में सोमवार को शिमला के चौड़ा मैदान में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान शिक्षकों ने सेवा प्रदाता कम्पनियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार से इन कम्पनियों को बाहर कर उन्हें शिक्षा विभाग में मर्ज करने की मांग उठाई. इस विरोध प्रदर्शन में राज्य भर से वोकेशनल शिक्षक शामिल हुए. राज्य के करीब 1100 स्कूलों में दो हजार वोकेशनल शिक्षक सेवारत हैं.
इन शिक्षकों ने कम्पनियों पर शोषण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी सरकार और शिक्षा विभाग के आदेशों की अवहेलना कर रही है. उन्हें तय समय पर पगार नहीं मिल रही है. वेतन के एरियर का भुगतान न होने की वजह से उनकी दिवाली फीकी रही है.
वोकेशनल शिक्षक संघ के अध्यक्ष अश्वनी डटवालिया ने कहा कि जिन कम्पनियों के माध्यम से उनकी नियुक्ति हुई है. उनके द्वारा शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है. शिक्षा विभाग के निर्देशों को कंपनियां दरकिनार कर रही हैं. शिक्षकाें को अभी तक एरियर का भुगतान नहीं किया गया है. शिक्षा विभाग ने 20 अक्तूबर से पहले एरियर का भुगतान करने के लिए कंपनियों को कहा था.
उन्होंने कहा कि कुछ कंपनियों ने अभी एरियर का भुगतान नहीं किया है और जिन शिक्षकों को भुगतान हुआ है वह भी अलग अलग राशि दी गयी है जबकि वेतन एक समान है. उन्होंने कहा कि यह सरकार शिक्षकों को देना चाहती है जबकि कम्पनियाँ सरकार और विभाग के आदेशों को दरकिनार कर रही है. उन्होंने कहा कि वह धरने पर उस समय तक डटे रहेंगे जब तक उन्हें सरकार की ओर से कोई आश्वासन नही मिलता अन्यथा वह यहीं धरने पर डटे रहेंगे.
धरने में मौजूद वोकेशनल शिक्षिका सुचिता शर्मा ने कहा कि वे 11 वर्षों से अधिक समय से अलग-अलग विद्यालयो में अपनी सेवाएं दे रही हैं. दो हजार से अधिक शिक्षक इस समय सेवाएं दे रहे हैं. इतने वर्षों के बाद भी कम्पनियां उनका शोषण कर रही हैं. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि उनके लिए कोई नीति निर्माण कर कम्पनियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए, जिससे उन्हें शोषण से मुक्ति मिल सके.
हिन्दुस्थान समाचार
ये भी पढ़ें: CM सुक्खू ने केंद्रीय रेल मंत्री को लिखा पत्र, कालका-शिमला रेल को ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर किया ये आग्रह