नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज शनिवार को एक अहम फैसला लेते हुए कहा कि आधार कार्ड किसी भी व्यक्ति की उम्र के निर्धारण के लिए वैलिड डॉक्यूमेंट नहीं है. ये फैसला अदालत ने पंजाब-हरियाण हाईकोर्ट के उस आदेश को पलटते हुए दिया है, जिसमें सड़क हादसे के एक पीड़ित को मुआवजा राशि तय करते समय आधार कार्ड को उम्र का प्रमाण माना था.
सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि किसी की उम्र का पता लगाने के लिए आधार कार्ड वैध प्रमाण पत्र नहीं है, साथ ही उन्होंने कहा कि आधार कार्ड के बजाय स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट पर अंकित जन्म तिथि को वैलिड डॉक्यूमेंट के रूप में माना जाना चाहिए.
ये है पूरा मामला
दरअसल, सड़क हादसे में जान गंवाने वाले व्यक्ति के परिजनों ने ये याचिका दाखिल की थी. बता दें ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में पहले 19 लाख रूपये का मुआवजा तय किया था. जब मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में गया कि इसकी रकम घटाकर 9 लाख 22 लाख रूपये कर दी गई. हाई कोर्ट ने आधार कार्ड को ही उम्र का वैलिड डॉक्यूमेंट माना था. हाई कोर्ट ने मृतक के आधार कार्ड पर भरोसा करते हुए उसकी उम्र 47 वर्ष आंकी थी. जिसके बाद पीड़ित परिवार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. परिवार ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने आधार कार्ड के आधार पर मृतक की उम्र निर्धारित करने में गलती की है क्योंकि यदि उसके स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र के अनुसार उसकी उम्र की गणना की जाती है, तो मृत्यु के समय उसकी उम्र 45 वर्ष थी.