शिमला: प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि राजधानी शिमला में बनने वाला भारत का पहला सबसे बड़ा रोपवे का निर्माण का कार्य मार्च 2025 से शुरू होगा. इसके लिए एनडीबी ने अग्रिम टेंडर की मंजूरी भी दे दी है. लगभग 14 किलोमीटर बनने वाले इस रोपवे में 13 स्टेशन और 660 ट्रॉली होगी. इस रोपवे के निर्माण से शिमला के ट्रैफिक की समस्या से निजात मिलेगा और पर्यटन को भी नए पंख लगेंगे.
उपमुख्यमंत्री अग्निहोत्री गुरुवार काे यहां पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का फोकस प्रोजेक्ट्स के निर्माण पर है लेकिन विपक्ष श्रेय लेने की होड़ में है. इसमें एक पैसे का योगदान पूर्व की भाजपा सरकार के समय का नहीं है. उपमुख्यमंत्री अग्निहोत्री ने कहा कि पूर्व सरकार में शिमला रोपवे की डीपीआर तक नहीं बनाई गई थी लेकिन कांग्रेस की सरकार सत्ता में आने के बाद विदेश से कंसल्टेंट हायर कर डीपीआर बनाई गई, जिसके लिए साढ़े 12 करोड़ रुपये उनको अदा किए गए हैं. इस रोपवे के बनने से शिमला में ट्रैफिक जाम की समस्या से लोगों को निजात मिलेगी. रोपवे में हिमाचल प्रदेश का भविष्य है और केन्द्र सरकार भी प्रॉजेक्ट में पूर्व मदद कर रही है.
उन्होंने कहा कि दो चरणों में प्रोजेक्ट्स को पूरा करना है और पहला चरण वर्तमान सरकार के कार्यकाल में पूरा होगा. इसके अलावा बिजली महादेव का रोपवे भी शुरू होने वाला है और बगलामुखी मंडी में रोपवे लगभग बनकर तैयार है, जिसका सुरक्षा और तकनीकी पहलुओं का ट्रायल चल रहा है. उन्हाेंने कहा कि विपक्ष के नेता काे जल्दी बहुत है और उसमें चढ़ने में लगे हैं. सरकार देसी के बजाय वर्ल्ड स्टैंडर्ड रोपवे लगवा रही है ताकि सुरक्षा से खिलवाड़ न हो.
रेलवे प्रोजेक्ट्स को लेकर उपमुख्यमंत्री का पलटवार
हिमाचल प्रदेश में रेलवे प्रोजेक्ट्स में हिस्सेदारी न देने के मामले में विपक्ष के आरोपों पर मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि रेलवे के दो प्रोजेक्ट्स केन्द्र सरकार के साथ बन रहे हैं, जिसमें हिमाचल प्रदेश की वर्तमान सरकार भानूपल्ली बिलासपुर बैरी रेल लाइन 63.1 किलोमीटर है जिसमें 49.2 किलोमीटर हिमाचल बाकी पंजाब की है. उन्होंने कहा कि 511 करोड़ हिमाचल की पूर्व भाजपा सरकार ने दिया है और 336 करोड़ वर्तमान सरकार ने दे दिया है. इसके लिए 1400 करोड़ की 11 किलोमीटर लम्बी जमीन अधिग्रहण होना है और फायदा केवल एक कारखाने का होना है. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़-बद्दी रेललाइन 28.2 किलोमीटर लंबी है और इसके निर्माण में 1540 करोड़ की लागत आएगी. इसके लिए 50 फ़ीसदी केंद्र सरकार और 50 फीसदी हिमाचल को लगाना है. इसमें से 223 करोड़ राज्य सरकार दे चुकी है. 179 पूर्व और 44.25 करोड़ वर्तमान सरकार दे दिया है, जबकि 63 करोड़ नवंबर में सरकार देने वाली है, इसलिए विपक्ष झूठ फैलाकर लोगों को गुमराह न करें.
हिन्दुस्थान समाचार
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