शिमला: हिमाचल प्रदेश में कार्प मछली उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. पिछले वर्ष के 6,767.11 मीट्रिक टन की तुलना में उत्पादन बढ़कर 7,367.03 मीट्रिक टन हो गया है. वर्तमान में लगभग 2,600 मछुआरे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिकी में सुधार हो रहा है.
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को एक बयान में कहा कि प्रदेश सरकार मछुआरों को उच्च गुणवत्ता वाले मछली के बीज उपलब्ध करा रही है और प्रदेश में सात सरकारी कार्प मछली फार्म स्थापित किए गए हैं. मई 2024 में नेशनल फ्रेशवाटर फिश ब्रूड बैंक, भुवनेश्वर से उन्नत अमुर कार्प बीज खरीदे गए हैं. इनका उपयोग सोलन के नालागढ़ और ऊना के गगरेट फिश सीड फार्म में ब्रूड स्टॉक्स विकसित करने के लिए किया जा रहा है. ये बीज पारंपरिक प्रजातियों की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक उत्पादन देंगे, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी.
सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बताया कि जून 2024 में केन्द्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसन्धान संस्थान भुवनेश्वर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसके तहत जयंती रोहू और अमृत कटला प्रजातियों के उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाएंगे. इन प्रजातियों की वृद्धि दर पारंपरिक किस्मों की तुलना में 20-25 प्रतिशत अधिक है और इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है.
किसानों को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए मात्स्यिकी विभाग द्वारा जिला ऊना के गगरेट में पांच करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया है. इसके अतिरिक्त, नालागढ़ में कार्प फिश ब्रूड बैंक भी जल्द ही स्थापित किया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तालाब निर्माण के लिए 80 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है. अब तक सामान्य श्रेणियों के किसानों को 14 हेक्टेयर क्षेत्र में तालाब निर्माण के लिए 1.38 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को भी जल्द ही अतिरिक्त राशि जारी की जाएगी. इस योजना के तहत किसान अधिकतम एक हेक्टेयर भूमि पर तालाब बना सकते हैं, जिसमें तालाब का आकार न्यूनतम 500 वर्ग मीटर होगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना प्रदेश के आठ जिलों में लागू की जा रही है, जहां रोहू, कटला, मृगल, कॉमन कार्प और ग्रास कार्प का पालन किया जा रहा है. मछुआरे एक हेक्टेयर तालाब में मछली पालन करके 10.50 लाख रुपये का लाभ अर्जित कर सकते हैं, जबकि 500 वर्ग मीटर की सबसे छोटी इकाई से भी 50,000 रुपये तक का लाभ हो सकता है.
हिन्दुस्थान समाचार