शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकारी उपक्रम हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड (एचपीएसईबी) में वर्क विंग में इंजीनियरों के 51 पद समाप्त कर दिए हैं. अब बोर्ड के ढांचे में इन पदों को नहीं शामिल किया जाएगा. इसी के साथ बोर्ड कर्मचारियों के पदोन्नत होने पर इन पदों पर तैनात होने की उम्मीद भी धूमिल हो गई है. हिमाचल बिजली बोर्ड के गठन के 53 वर्ष बाद पहली बार इन पदों को खत्म किया गया है.
बोर्ड के कार्यकारी निदेशक की तरफ से इस सम्बंध में अधिसूचना जारी हुई है. इनमें अधीक्षण अभियंता वर्क्स, वरिष्ठ अधीक्षण अभियंता वाणिज्य एवं वर्क्स, सहायक अभियंता वर्क्स के पद शामिल हैं. ये पद मुख्य अभियंता कार्यालय ऑपरेशन शिमला, धर्मशाला, मंडी, हमीरपुर, मुख्य अभियंता जेनरेशन हमीरपुर, मुख्य अभियंता ईएस शिमला, मुख्य अभियंता परियोजना शिमला और विभिन्न शहरों में हैं. सहायक अभियंता वर्क्स के 22 पद कुमारसैन, काजा, रिकांगपिओ, रोहडू, सोलन, अर्की, धर्मशाला, नगरोटा बगवां, लंबागांव, बैजनाथ, डलहौजी, नरपर, ज्वाली. फतेहपर.करसोग, सरकाघाट, जोगिंद्रनगर, मनाली, नादौन, बड़सर, घुमारवीं, अंब में समाप्त किए गए हैं. सहायक अभियंता के ही 16 अन्य पद कांगड़ा, डलहौजी, शिमला, रामपुर, रोहडू, मंडी, हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर, शिमला, पालमपुर, भावानगर और नाहन में किये गए हैं.
बिजली बोर्ड की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए खत्म किये पद
माना जा रहा है कि बिजली बोर्ड की आर्थिक सेहत को सुधारने के लिए इन पदों को खत्म किया गया है. इससे बिजली बोर्ड में हो रहे अनावश्यक खर्चा कम होगा. हालांकि बोर्ड की ओर से पद खत्म करने का कारण युक्तीकरण बताया गया है. यह भी स्पष्ट किया गया है कि इलेक्ट्रिकल डिविजन में सहायक अभियंता वर्क्स के पदों को ड्राइंग और आईटी कॉडर से पदोन्नत पदों से भरा जाएगा.
भड़के कर्मचारी, आज से वर्क टू रूल, मोबाइल पर नहीं सुनेंगे शिकायतें
बिजली बोर्ड के ढांचे में इन पदों के खत्म होने से बोर्ड के कर्मचारी भड़क गए हैं और कर्मचारियों ने आर-पार की लड़ाई छेड़ने का ऐलान कर दिया है. कर्मचारियों ने घोषणा किया है कि बोर्ड ने आदेश वापस न लिया तो वे सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे.
बिजली बोर्ड के कर्मचारी और इंजीनियरों के संयुक्त मोर्चा ने कहा है कि बोर्ड के इस कदम से भारी आक्रोश है. मोर्चा के सह संयोजक हीरालाल वर्मा ने कहा कि आपातकालीन बैठक में फैसला किया गया कि आज यानी शनिवार से कर्मचारी व अभियंता वर्क टू रूल काम कर रहे हैं. शाम 6 बजे से सुबह 9 बजे तक मोबाइल बंद रखेंगे औऱ इस अवधि में लोगों की बिजली से संबंधित शिकायतों को नहीं सुना जाएगा. मोबाइल एप से घरेलू उपभोक्ताओं और होटलों का सर्वेक्षण भी बंद किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि अगर आदेश 28 अक्तूबर से पहले वापस नहीं लिया तो सभी सामूहिक अवकाश पर जाएंगे.
हीरा लाल वर्मा ने बताया कि बिजली बोर्ड का गठन 1971 में हुआ था. पहली बार इन पदों को समाप्त किया गया है. ये पद आज भी तर्कसंगत हैं और इनके खत्म होने से बिजली बोर्ड की कार्यप्रणाली पूरी तरह से प्रभावित हो सकती है. इससे बिजली बोर्ड के मूल ढांचे पर भी विपरीत असर पड़ेगा, बिजली बोर्ड के बेहतर संचालन के लिए इस ढांचे को तैयार किया गया था. उन्होंने बताया कि बिजली बोर्ड के वर्क विंग को फील्ड में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बनाया गया था. इसके अलावा यह रूटीन के प्रशासनिक कार्य भी करते हैं.
हिन्दुस्थान समाचार