शिमला: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने निर्मल ठाकुर को प्रथम महाराजा दाहिर सेन सप्त सिन्धु आजीवन सम्मान प्रदान किया. निर्मल ठाकुर को यह सम्मान शिक्षा, साहित्य एवं सामाजिक जीवन में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए दिया गया है.
शुक्रवार को राजभवन में सप्त सिन्धु फाऊंडेशन दिल्ली की ओर से प्रथम महाराजा दाहिर सेन सप्त सिन्धु आजीवन सम्मान समारोह आयोजित किया गया. इस मौके पर राज्यपाल शुक्ल ने शिक्षा, साहित्य एवं सामाजिक जीवन में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए निर्मल ठाकुर को सम्मानित किया. राज्यपाल ने सप्त सिन्धु फाउंडेशन को महाराजा दाहिर सेन के नाम पर सप्त सिन्धु सम्मान स्थापित करने पर बधाई दी.
उन्होंने कहा कि सप्त सिन्धु का जिक्र वेदों में भी आता है. यह सात नदियों का विशाल क्षेत्र है, जिनमें चार नदियां सतलुज, व्यास, चिनाब और रावी हिमाचल प्रदेश में से होकर गुजरती हैं. इसलिए, हिमाचल को सप्त सिन्धु क्षेत्र की देव भूमि कहा जाता है. उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रथम सप्त सिन्धु सम्मान भी हिमाचल प्रदेश में दिया जा रहा है. शुक्ल ने कहा कि यह सम्मान सिन्धु नरेश महाराजा दाहिर सेन के नाम पर दिया जा रहा है, जिन्होंने आक्रांताओं के खिलाफ कभी समझौता नहीं किया और देश के लिए बलिदान दिया. उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे महान व्यक्ति को इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया गया. उन्होंने आशा व्यक्त की कि महाराजा दाहिर सेन के नाम पर दिया गया, यह सप्त सिन्धु सम्मान इतिहासकारों को पुर्नावलोकन का अवसर प्रदान करेगा.
राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि आजीवन शिखा क्षेत्र से जुड़ी रहीं और उन्होंने हिमाचल प्रदेश के ख्याति प्राप्त शिक्षा संस्थानों में अध्यापन कार्य किया. उनका सम्मान पूरे प्रदेशवासियों का सम्मान है. उन्होंने कहा कि आज उनके पढ़ाए छात्र अनेक क्षेत्रों में उच्च स्थानों पर विद्यमान हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी शिक्षक का सबसे बड़ा सम्मान उसके छात्र ही होते हैं. जब उसके पढ़ाये हुए छात्र जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति करते हैं तो उनसे भी दोगुणी प्रसन्नता उनके शिक्षकों को होती है.
उन्होंने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में उनकी ख्याति उनके काव्य के कारण है. रेलम आफ थॉट्स और अंडरस्टैंडिंग ऑफ लाइफ उनके दो काव्य संकलन हैं, जिनके कारण हिमाचल प्रदेश के साहित्य जगत में उन्हें प्रसिद्धी मिली. उनकी कविताएं भावपूर्ण और जीवन दर्शन के विविध पक्षों को अभिव्यक्त करती हैं. उन्होंने कहा कि लगभग 90 वर्ष की आयु में भी वह हिमाचल प्रदेश के अनेक सामाजिक आयामों से सक्रिय रूप से जुड़ी हैं.
इस मौके पर निर्मल ठाकुर ने राज्यपाल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पुरस्कार प्राप्त कर उनका मनोबल और बढ़ा है और लेखक के रूप में अपनी कलम की शक्ति को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहन मिला है. उन्होंने कहा कि जीवन में अपने लक्ष्य की सफलता के लिए आपको हर कदम पर अपने परिवार के समर्थन और शक्ति की आवश्यकता होती है और मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे यह भरपूर मात्रा में मिलता है. उन्होंने इसका श्रेय अपने दिवंगत पति न्यायमूर्ति एचएस ठाकुर को दिया, जो हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे. उन्होंने कहा कि उन्होंने ही उन्हें लेखन कार्य के लिए प्रेरित किया.
हिन्दुस्थान समाचार