धर्मशाला: आस्था और पर्यटन का केंद्र धर्मशाला की नड्डी स्थित डल झील एक बार फिर पर्यटकों सहित धार्मिक आस्था रखने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकती है. झील में हो रहे रिसाव को रोकने और झील के पुनरुद्धार एवं कायाकल्प के लिए भारत के लेकमैन के नाम से विख्यात आनंद मल्लिगावड और प्रसिद्ध भू-वैज्ञानिक डॉ. रितेश आर्य एक साथ काम करेंगे. डल झील के पुनरद्धार के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी स्वीकृति दे दी है. इस मामले को शाहपुर के विधायक एवं उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने मंडी जिला के जोगिंद्रनगर नगर में स्वयं मुख्यमंत्री से भेंट कर इस बाबत स्वीकृति ली है. उन्होंने बताया कि डल झील में हो रहे रिसाव को रोकने और झील के पुनरुद्धार को लेकर उन्होंने गत दिनों शिमला में जल शक्ति, पर्यटन और वन विभाग के अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक की थी. उन्होंने अधिकारियों से मौके की रिपोर्ट ली और उन्हें झील के संरक्षण के लिए दिशा-निर्देश भी दिए.
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि लाखों लोगों की धार्मिक आस्था व पर्यटन का केंद्र और छोटा मणिमहेश के नाम से विख्यात डल झील के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है और इसका जल्द पुनरुद्धार कार्य आरम्भ किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी और उसके बाद तुरंत पुनरुद्धार का काम शुरू किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा 2004-05 से अब तक समुद्र तल से 1,775 मीटर की ऊंचाई पर स्थित डल झील के पुनरुद्धार पर करीब 31 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. अब विख्यात विशेषज्ञों की सेवाएं लेकर इसे गंभीरतापूर्वक पूरा किया जाएगा. केवल सिंह पठानिया ने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा भी हर स्थिति पर नजर रखी जा रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार धार्मिक और अध्यात्मिक महत्व के स्थलों के संरक्षण लिए हर संभव प्रयास कर रही है. उन्होंने क्षेत्र की जनता को संदेश देते हुए कहा कि डल झील के वास्तविक सौंदर्य को जल्द निखारा जाएगा और लोगों की आस्था का यह केंद्र जल्द नए स्वरूप में दिखेगा.
कई झीलों को नया जीवन दे चुके हैं मल्लिगावड
लेक मैन के नाम से विख्यात आनंद मल्लिगावड बेहद कम लागत से प्रकृति के अनुकूल प्रभावी तकनीकों का स्वयं विकास करके कई झीलों का कायाकल्प कर उन्हें नया जीवन दे चुके हैं. आंनद मल्लिगावड कर्नाटक राज्य के कोपल्ल जिला से हैं. जल संरक्षणवादी आनंद अभी तक अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही करीब 23 झीलों को नया जीवन दे चुके हैं. करीब 43 वर्षीय आनंद को इसलिए लेक मैन का नाम दिया गया है. इसके अतिरिक्त अन्य पर्यावरणविदों का सहयोग भी इस कार्य के लिए लिया जाएगा.
पिछले कुछ वर्षों से डल झील में हो रहा है पानी का रिसाव
पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह आस्था और पर्यटन की प्रतीक डल झील में पानी का रिसाव हो रहा है. इस बजह से इस झील में रहने वाली सैंकडों मछलियां भी अभी तक मर चुकी है. यही नही मिनी मणिमहेश के नाम से विख्यात डल झील में राधाष्टमी को हे साल पवित्र स्नान भी होता है जिसके चलते यब लोगों का आस्था का भी प्रमुख केंद्र है. वहीं झील में रिसाव होने के चलते न सिर्फ पर्यटक बल्कि स्थानीय लोग भी काफी निराश हैं. अब ऐसे में उम्मीद जगी है कि डल झील दोबारा पानी से लबालब होगी और यह फिर से पर्यटकों सहित धार्मिक आस्था रखने वाले लोगों के लिए राहत लेकर आएगी.
हिन्दुस्थान समाचार
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