नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व पर आज मां कालरात्रि से प्रार्थना की है कि सभी भक्तों का जीवन भयमुक्त हो. प्रधानमंत्री ने एक्स हैंडल पर लिखा,” नवरात्रि की महासप्तमी मां कालरात्रि के पूजन का पावन दिन है. माता की कृपा से उनके सभी भक्तों का जीवन भयमुक्त हो, यही कामना है।” प्रधानमंत्री मोदी ने मां कालरात्रि की एक स्तुति भी प्रस्तुत की है.
नवरात्रि की महासप्तमी मां कालरात्रि के पूजन का पावन दिन है। माता की कृपा से उनके सभी भक्तों का जीवन भयमुक्त हो, यही कामना है। मां कालरात्रि की एक स्तुति आप सभी के लिए… pic.twitter.com/L7bzDsFzyX
— Narendra Modi (@narendramodi) October 9, 2024
उल्लेखनीय है कि नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा की जाती है. माता कालरात्रि को शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी भी कहा जाता है. माता कालरात्रि विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से अपने भक्तों की सभी बुरी शक्तियों और काल से रक्षा करती हैं. अर्थात भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता. मां के इस स्वरूप से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं. इसलिए तंत्र -मंत्र करने वाले विशेष रूप से मां कालरात्रि की उपासना करते हैं. राक्षसों और दुष्ट प्राणियों का संहार करने वाली मां कालरात्रि की सच्चे मन से पूजा करने से सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं. जीवन और परिवार में सुख-शांति का वास होता है. शास्त्र और पुराण कहते हैं कि मां कालरात्रि की पूजा और व्रत करने से सभी नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं और आरोग्य की प्राप्ति होती है. मां कालरात्रि भक्तों की शक्ति और आयु में वृद्धि करती हैं.
मां कालरात्रि की प्राकट्य कथाः शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नाम के असुरों ने अपने अत्याचारों से पृथ्वी पर हाहाकार मचा दी थी. उनसे परेशान होकर सभी देवी-देवता भोलेनाथ के पास पहुंचकर उनसे रक्षा की प्रार्थना की. तब भगवान शिव ने माता पार्वती से भक्तों की रक्षा करने के लिए कहा. मां पार्वती ने देवी दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया. जब मां दुर्गा ने रक्तबीज का वध किया तो उसके रक्त से लाखों रक्तबीज पैदा हो गए. यह देखकर मां दुर्गा बहुत क्रोधित हो गईं. मां का चेहरा गुस्से से काला पड़ गया. इसी स्वरूप से देवी कालरात्रि का प्रादुर्भाव हुआ. इसके बाद मां कालरात्रि ने रक्तबीज समेत सभी दैत्यों का वध कर दिया और उनके शरीर से निकलने वाले रक्त को जमीन पर गिरने से पहले अपने मुख में भर लिया. इस तरह सभी असुरों का अंत हुआ. इस वजह से माता को शुभंकरी भी कहा गया.
हिन्दुस्थान समाचार
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