धर्मशाला: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि वजीर राम सिंह पठानिया एक महान स्वतंत्रता सेनानी, सशस्त्र क्रांति के जननायक थे, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में साहस, देशभक्ति और दृढ़ संकल्प के प्रतीक के रूप में अंकित है. राज्यपाल ने यह बात सोमवार को कांगड़ा जिले के नूरपुर उपमण्डल में महानायक वज़ीर राम सिंह पठानिया की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम के अवसर पर अपने संबोधन में कही.
उन्होंने कहा, ‘‘आज, हम न केवल उनके असाधारण जीवन को श्रद्धांजलि देने के लिए बल्कि उनकी विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए भी एकत्र हुए हैं, जो पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी हुई है.’’ उन्होंने कहा कि वजीर राम सिंह पठानिया एक बहादुर योद्धा से कहीं बढ़कर थे. उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहले संगठित सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया. 1857 के विद्रोह से बहुत पहले, वर्ष 1848 में, उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में विद्रोह का नेतृत्व किया और लोगों को ब्रिटिश सेना के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि शाहपुर में उनकी लड़ाई उनकी सैन्य कुशलता और अपने लोगों के लिए स्वतंत्रता की उनकी अथक खोज का प्रमाण है. उन्होंने मुट्ठी भर साथियों के साथ अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिलाकर रख दी थी.
राज्यपाल ने कहा कि अंग्रेजों ने षड्यंत्र कर वज़ीर राम सिंह पठानिया को गिरफ्तार किया और आजीवन कारावास की सजा सुनाकर कालापानी भेज दिया. उसके बाद उन्हें रंगून भेजा गया और उन पर काफी अत्याचार किए गये. 11 नवंबर 1849 को मात्र 24 साल की उम्र में वह वीरगति को प्राप्त हो गए. उन्होंने कहा कि उनका और उनके साथियों का बलिदान हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम की आधारशिला है. उन्होंने बाद के आंदोलनों की नींव रखी, जिसके कारण अंततः भारत को स्वतंत्रता मिली.
राज्यपाल ने कहा, ‘‘यह प्रतिमा न केवल हमें प्रेरित करेगी बल्कि वज़ीर राम सिंह पठानिया की अदम्य भावना का प्रमाण भी बनेगी. उनकी विरासत हमारे दिलों और दिमागों में हमेशा ज़िंदा रहेगी, और उनकी कहानी हमारे महान राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि में योगदान देने के लिए कई और लोगों को प्रेरित करती रहेगी’’
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त किए.
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