शिमला: राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में मस्जिद में हुए अवैध निर्माण के बाद से हिमाचल प्रदेश में माहौल लगातार गरमाया हुआ है. प्रदेशभर में विभिन्न हिंदू संगठन मस्जिद के विवादित अवैध निर्माण को गिराए जाने की जोरदार मांग उठा रहे हैं. इसको लेकर जगह-जगह धरने प्रदर्शन कर सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है. इसी कड़ी में देवभूमि संघर्ष समिति के बैनर तले शनिवार को शिमला सहित प्रदेश के हर जिले में हिन्दू सड़कों पर उतरे और प्रदर्शन किए गए. हालांकि इस दौरान पुलिस भी अलर्ट रही और कहीं भी अप्रिय घटना नहीं हुई.
राजधानी शिमला में डीसी ऑफिस के नजदीक सीटीओ चौक में देवभूमि संघर्ष समिति ने तीन मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में भारत सरकार से वक्फ बोर्ड को समाप्त करना, हिमाचल में बन रही अवैध मस्जिदों व मजारों के निर्माण पर रोक लगाना और बाहर से आ रहे प्रवासियों का पंजीकरण करना आदि मांगें शामिल हैं. इसे लेकर डीसी को ज्ञापन भी सौंपा गया. देवभूमि संघर्ष समिति ने वाम दलों के शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी बैनर तले आयोजित किए जा रहे शांति व सद्भावना मार्च पर सवाल उठाए.
नगर निगम शिमला की रेवेन्यू कोर्ट में संजौली मस्जिद की अवैध मंजिलों को लेकर सुनवाई अब पांच अक्टूबर को होनी है. ऐसे में देवभूमि सँघर्ष समिति ने सीधी चेतावनी दी है कि यदि उस दिन मस्जिद गिराने का फैसला नही हुआ तो जेल भरो आन्दोलन शुरु होगा.
देव भूमि संघर्ष समिति के संयोजक भरत भूषण ने कहा कि राज्य के 16 शहरों में समिति के बैनर तले प्रदर्शन हुए हैं. इसका मकसद सरकार को जगाना है कि संजौली की विवादित अवैध मस्जिद पर दोहरा रुख न अपनाइए.
उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी तरह की लीपापोती नहीं चलेगी. भरत भूषण ने कहा कि पुलिस की ओर से हमें ये बताया गया कि संजौली मस्जिद वाले अवैध ढांचे को सील कर दिया गया है और किसी को भी मस्जिद स्थल पर जाने की इजाजत नहीं है. लेकिन दिल्ली से एक मुस्लिम संगठन का नेता किसी के इशारे पर विवादित मस्जिद स्थल पर आता है और पुलिस प्रशासन ने अगर उस ढाचे को सील किया था, तो वह पुलिस की अनुमति से या पुलिस की मिलीभगत से मस्जिद स्थल तक कैसे गया था.
उन्होंने सवाल उठाया कि वो नेता मस्जिद के भीतर बैठक करता है और उसके बाद अवैध ढांचे की लाईव वीडियो बनाता है. इससे उनसे इस संवेदनशील मुद्दे को भड़काने का काम किया है. उन्होंने कहा कि उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दी गई , लेकिन अभी तक पुलिस ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. जबकि हिन्दू संगठन के तीन लोग जब एक वीडियो के जरिये शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील करते हैं तो पुलिस द्वारा उन पर केस बनाया जाता है. इस तरह पुलिस भी इस मामले में दोहरा रुख अपना रही है.
उन्होंने कहा कि इस विवाद का कानून के तहत निपटारा किया जाए और शासन-प्रशासन पांच अक्टूबर को आने वाले फैसले तक इस पर सकारात्मक रुख अपनाए.
हिन्दुस्थान समाचार