भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर से पड़ोसी देश चीन पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने चीन के साथ भारत के ‘कठिन इतिहास’ को स्वीकार करते हुए कहा कि जब मैंने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का 75 प्रतिशत हल होने की बात कही, तो वह केवल ‘सैनिकों के पीछे हटने’ वाले हिस्से के बारे में थी. विदेश मंत्री ने कहा कि अभी दूसरे पहलुओं में चुनौती बनी हुई है. ये बातें एस जयशंकर ने अमेरिका में एक कार्यक्रम के दैरान कही हैं.
अमेरिका के एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में विदेश मंत्री ने एशिया सोसाइटी को संबोधित किया. उन्होंने इस बात पर गंभीर जोर देते हुए कहा कि कैसे चीन ने कोरोना काल के समय LAC पर सेना की तैनाती बढ़ा दी थी और पिछले समझौतों का उल्लंघन किया, जिसके परिणामस्वरूप सैनिकों के बीच झड़प हुई. इस घटना से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को भी नुकसान हुआ है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन के संग भारत का इतिहास कठिनाइयों भरा रहा है. उन्होंने कहा कि चीन के साथ हमारे स्पष्ट समझौतों के बावजूद, हमने कोविड महामारी के वक्त देखा कि चीन ने इन समझौतों का उल्लंघन किया और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारी संख्या में सेना की तैनाती की. जिसके बाद कोई दुर्घटना होनी संभव थी और ऐसा हुआ भी. इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों में झड़प हुई, जिसमें दोनों ओर से कई सैनिक मारे गए.
एस जयशंकर ने स्वीकार किया कि टकराव वाले बिंदुओं के अधिकांश हिस्सों को हल कर लिया है, लेकिन अभी तक चुनौतियां बनी हुई हैं. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से सीमा पर गश्त के अधिकारों के संबंध में अभी संघर्ष बना हुआ है.
विदेश मंत्री ने एक सलाह देते हुए कहा कि यदि चीन के साथ संबंधों को ठीक करना है तो दोनों देशों को ‘डी-एस्केलेशन’ के महत्व को समझना पड़ेगा.