शिमला: हिमाचल प्रदेश के पूर्व डीजीपी, दो सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों, पांच एसपी सहित 10 के खिलाफ एक कांस्टेबल को नौकरी से निकालने से जुड़े मामले में एफआईआर दर्ज हुई है. आईजी साउथ रेंज ने शिमला के सदर पुलिस स्टेशन को केस दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. पूर्व डीजीपी व अन्य सेवानिवृत्त व मौजूदा पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम की धारा 3 (1) (पी), एससी एंड एसटी एक्ट 1989 के तहत मुकदमा पंजिकृत हुआ है.
यह एफआईआर नौकरी से बर्खास्त किये गए कांस्टेबल की पत्नी मीना नेगी निवासी किन्नौर की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है, जिसमें आरोपितों पर उनके पति के उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था. यह मामला पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल का है. कांस्टेबल व उसकी पत्नी जनजातीय जिला किन्नौर के मूल निवासी हैं.
महिला ने पूर्व डीजीपी, पूर्व आईपीएस सहित अन्य पुलिस अधिकारियों पर उनके पति के उत्पीड़न का आरोप लगाया है. महिला द्वारा दी गई शिकायत के अनुसार पुलिस के उच्च अधिकारियों द्वारा अपने उच्च पद का दुरूपयोग करके बदले की भावना से उनके पति धर्म सुख नेगी पर मनगढन्त व मिथ्या आरोप लगाए और विभागीय जांच बिठा कर आठ वर्षों का सेवा शेष रहते दिनांक 09-07-2020 को जबरन बेईज्जती करके नौकरी से निकाल दिया.
महिला ने शिकायत में कहा है कि उनके पति को पुलिस मुख्यालय से आबंटित सरकारी आवास का बिना वर्क आउट के 1,43,424 रूपये का रेंट वसूलने के आदेश दिए गए. इसके अलावा उनके ग्रेच्युटी, डीसीआरजी एवं अन्य लाखों रूपयों का सेवानिवृति लांभाश को 2020 से अब तक रोके रखा है. शिकायतकर्ता महिला के मुताबिक उनके पति के सरकारी आवास को खाली करने के लिए कई बार तत्कालीन पुलिस अधिकारियों द्वारा पुलिस आवासीय कलौनी भराड़ी व उनके पैतृक गांव रामनी जिला किन्नौर में नोटिस पर नोटिस भेजकर समाज में परिवार को जलील किया गया.
महिला ने शिकायत में कहा कि नवम्बर 2023 को उन्होंने कोर्ट, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, गृह सचिव तथा पुलिस अधीक्षक शिमला को प्रार्थना पत्र देकर उनके पति व परिवार पर हुए अत्याचार व अमानवीय व्यवहार बारे विस्तृत जानकारी दी थी.
महिला ने आरोप लगाया है कि पूर्व डीजीपी व अन्य पुलिस अधिकारियों ने उनके पति व परिवार को सामाजिक, आर्थिक व मानसिक पीड़ा पहुंचाई है. उन्होंने शिकायत में जिक्र किया है कि उसके परिवार को भुखमरी के कगार पर पहुंचा दिया गया है. उन्होंने जिन सेवानिवृत्त व वर्तमान पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगाए हैं, उनमें पूर्व डीजीपी व दो सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों के अलावा अन्य मौजूदा पुलिस अधिकारी शामिल हैं. दिलचस्प बात यह है कि जिन पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगे हैं, उनमें कई आईपीएस अधिकारी हैं और वे वर्तमान में बड़े ओहदों पर तैनात हैं. पांच आईपीएस अधिकारी एसपी के पदों पर कार्यरत हैं. जिनमें दो पुलिस अधिकारी तो जिलों के एसपी हैं. इस पूरे प्रकरण पर शिमला पुलिस का कोई भी अधिकारी मीडिया के सामने अपना पक्ष रखने से बचता रहा.
बहरहाल शिमला पुलिस ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम की धारा 3 (1) (पी) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है और अब देखना यह होगा कि जांच कैसे आगे बढ़ती है.
हिन्दुस्थान समाचार