शिमला: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने केंद्रीय कैबिनेट के ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को सहमति देने को युगांतकारी कदम बताते हुए स्वागत किया. उन्होंने कहा कि देश के लोकतांत्रिक हितों को सशक्त करने के लिए ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ समय की जरूरत है. जिसे पूरा करने का संकल्प नरेन्द्र मोदी की सरकार ने किया है. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’की नीती लागू होने से जनहित के कामों में सुगमता होगी. आचार संहिता के कारण विकास कार्यों में इस विलंब नहीं होगा, किसी प्रकार की रोकटोक नहीं होगी. चुनाव का खर्च घटेगा जो देश के विकास के कार्यों में खर्च हो सकेगा. यह बहुत बड़ा निर्णय है, इतने बड़े लोकतांत्रिक सुधार सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही कर सकते हैं. उन्होंने इस प्रस्ताव के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा समेत समस्त केंद्रीय नेतृत्व का आभार जताया.
वरिष्ठ भाजपा ने जयराम ठाकुर ने बुधवार काे एक बयान जारी कर कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है, जब देश में एक साथ सभी चुनाव होंगे. 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के बाद लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए पहली बार आम चुनाव 1951-1952 में एक साथ आयोजित किए गए थे. यह प्रथा बाद के तीन लोकसभा चुनाव में वर्ष 1967 तक जारी रही, जिसके बाद इसे बाधित कर दिया गया. यह चक्र पहली बार वर्ष 1959 में टूटा, जब केंद्र ने तत्कालीन केरल सरकार को बर्खास्त करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 356 को लागू किया. इसके बाद पार्टियों के बीच दल-बदल के कारण 1960 के बाद कई विधानसभाएं भंग हो गईं. जिसके कारण अंततः लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग चुनाव हुए. वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, आंध्र प्रदेश और ओडिशा राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होते हैं. 1999 में न्यायमूर्ति बी. पी. जीवन रेड्डी की अध्यक्षता वाले में भारतीय विधि आयोग ने भी एक साथ लोक सभा और विधान सभा चुनाव करवाने की वकालत की थी.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक समिति का निर्माण किया था. जिसमें गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल थे.
पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव से सार्वजनिक धन की बचत होगी. प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा बलों पर तनाव कम होगा. सरकारी नीतियों का समय पर कार्यान्वयन होगा. विकास गतिविधियों पर प्रशासनिक ध्यान केंद्रित होगा. चुनाव प्रचार के लिए ज्यादा समय मिलेगा. नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश में प्रत्येक वर्ष कम-से-कम एक चुनाव होता है, इन चुनाव के चलते विभिन्न प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नुकसान होते हैं. आर्थिक लागत के साथ-साथ चुनाव के दौरान सरकारी तंत्र चुनाव ड्यूटी और संबंधित कार्यों के कारण अपने नियमित कर्तव्यों का पालन नहीं कर पाता है. आदर्श आचार संहिता के कारण सरकार किसी नई महत्त्वपूर्ण नीति की घोषणा या उसका क्रियान्वयन नहीं कर सकती है . इसके साथ ही साथ बहुत से ऐसे खर्च हैं जो अनावश्यक खर्च होते हैं. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’की निति के लागू होने से उपरोक्त समस्याओं से छुटकारा मिलेगा.
हिन्दुस्थान समाचार