हिमाचल प्रदेश के कुल्लू की मणिकर्ण घाटी में कुछ दिनों पहले यानी 31 अगस्त की रात को बादल फटने से भारी तबाही मची थी. वहीं, बादल फटने से मलाणा डैम भी क्षतिग्रस्त हुआ था. साथ ही इस तबाही में मलाणा पंचायत के अलावा चौहकी, बलादी गांव भी गंभीर रूप से प्रभावित हुए.
डैम क्षतिग्रस्त होने और नदी-नालों में बाढ़ से इन गांव में लोगों के घर और कृषि योग्य भूमि तबाह हो गई. इस बीच गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले डेढ़ महीने में बहुत बार वो प्रशासन से गुहार लगाते रहे, लेकिन अब तक उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया. जिसके चलते तीन गांव के ग्रामीणों ने जरी-मलाणा सड़क पर उतर कर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया. और अपनी नाराजगी जताई है. इस दौरान मौके पर पहुंचे नायब तहसीलदार के संग भी ग्रामीणों की खूब बहस हुई. ग्रामीणों ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब उन्होंने पहले ही प्रदर्शन की चेतावनी दी थी, तो क्यों इससे पहले प्रशासन उनके पास नहीं आया. ग्रामीणों ने कहा कि अब तक प्रशासन द्वारा गांव में हुए नुकसान का आकलन नहीं किया गया है.
ग्रामीण नीतू कुमार, भगत सिंह, शेरा नेगी ने कहा कि आज ग्रामीण खुले आसमान के नीचे रहने पर मजबूर हो गए हैं और राशन सहित कई मुश्किलों का उन्हें सामना करना पड़ रहा है. मलाणा डैम प्रबंधन की गलती के कारण उनके मकान और जमीन तबाह हो गए हैं. ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि वो मलाणा डैम प्रबंधन से पूरे नुकसान का मुआवजा लें, लेकिन प्रशासन उनकी मांगों पर गौर नहीं कर रहा है. जिसकी वजह से उन्हें मजबूरन सड़कों पर प्रदर्शन कर रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि उनकी जमीनों को ठीक किया जाए और सरकार की तरफ से जो राहत राशि प्रदान की जाती है, उसे जल्द से जल्द वित्तरित किया जाए. लेकिन, प्रशासन द्वारा उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है.
उधर, जरी तहसील के नायब तहसीलदार हेमराज शर्मा ने कहा, “प्रभावितों के नुकसान की सूची तैयार कर ली गई है और प्रभावितों को राहत राशि भी दी गई है. सरकार के पास मामला भेज दिया गया और जल्द ही सरकार की ओर से सभी प्रभावितों की मदद की जाएगी.”