शिमला: उपनगर संजौली के मस्जिद विवाद का मुद्दा मंगलवार को एक बार फिर हिमाचल विधानसभा में उठा. शिमला के विधायक हरीश जनारथा ने प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत यह मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की. उन्होंने कहा कि यह मामला सांप्रदायिक रूप लेता जा रहा है, जिससे कानून व्यवस्था खराब होने का खतरा पैदा हो गया है. उन्होंने कहा कि संजौली में तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है. उन्हाेंने स्ट्रीट वैंडर्स नीति बनाने और राज्य के बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति का सत्यापन कराने की मांग की.
विधानसभा में सदस्य हरीश जनारथा के बयान पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार बेतरतीब तहबाजारी की समस्या से निपटने के लिए नीति बनाएगी. उन्होंने कहा कि स्ट्रीट वैंडर्स नीति बनाने के लिए विधानसभा की एक कमेटी या कैबिनेट की सब कमेटी बनाई जाएगी. इस कमेटी में अधिकारियों के अलावा सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर के विधायकों को शामिल किया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई स्ट्रीट वेंडर नीति में तहबाजारियों की बैकग्राउंड जांचने के बाद ही उन्हें लाइसेंस जारी किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि हिमाचल में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का इतिहास रहा है और हम समाज के हर वर्ग का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि मस्जिद मामले में कानून अपना काम करेगा और अगर कुछ अवैध हुआ है तो तो नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि सभी को तहबाजारियों की नीति बनाने और नियमों के अनुसार सभी को जगह आवंटित की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक कैबिनेट उप-समिति या विधानसभा समिति गठित की जाएगी, क्योंकि राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करना सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि देश में हर किसी को कहीं भी काम करने का अधिकार है और हिमाचल एक शांतिपूर्ण राज्य है, जहां हर कोई पूर्ण सांप्रदायिक सद्भाव में रहता है और सभी धर्मों और आस्थाओं का सम्मान करता है.
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा कि किसी भी तरह के धरने या विरोध प्रदर्शन से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, ताकि कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा न हो. वहीं, विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि संजौली क्षेत्र में मस्जिद के अवैध निर्माण के खिलाफ लोगों का आक्रोश पूरे राज्य में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकाल के दौरान बाहरी लोगों के सत्यापन और पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी. उन्होंने कहा कि देश का हर नागरिक हिमाचल आ सकता है, लेकिन जिस तरह से राज्य में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है, जिनका इतिहास सत्यापित नहीं है, वह चिंताजनक है.
विपक्ष के नेता ने कहा कि इस मामले का जल्द निपटारा होना चाहिए, न कि पहले की तरह तारीखें दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह एक अलग मामला है, जिसमें आबादी के एक बड़े हिस्से की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. इसलिए इस मामले से अलग तरीके से निपटा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि संजौली में हुए प्रदर्शन में न तो भाजपा और न ही कांग्रेस समर्थक जुड़े थे, क्योंकि यह जनता की भावनाओं और आक्रोश का परिणाम था. उन्होंने कहा कि संजौली में अवैध मस्जिद निर्माण एक समुदाय की भावना से जुड़ा है और सरकार इसे हलके में न ले.
ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि भारत का कोई भी नागरिक हिमाचल आकर अपनी आजीविका कमा सकता है, लेकिन यह मुद्दा इससे आगे बढ़ गया है और कुछ लोग इसे सांप्रदायिक रंग देना चाहते हैं, जबकि कुछ लोग इससे राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचलियों के लिए एक नई वैंडर नीति बनाई जानी चाहिए. साथ ही हिमाचल प्रदेश के बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को सत्यापन के बाद ही लाइसेंस दिया जाना चाहिए. अनिरुद्ध सिंह ने उन असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जो सोशल मीडिया पर ऐसे संदेश पोस्ट कर रहे हैं जो शहर के सांप्रदायिक सद्भाव को खतरे में डाल सकते हैं. उन्होंने कहा कि इससे कानून और व्यवस्था की बड़ी समस्या पैदा हो सकती है.
हिन्दुस्थान समाचार