नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में रेप और हत्या के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि कल यानि 10 सितंबर शाम 5 बजे से पहले सभी रेजिडेंट डॉक्टर काम पर लौटें, नहीं तो अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए तैयार रहें. चीफ जस्टिस D.Y. चंद्रचूड़ ने कहा कि डॉक्टरों को एहसास होना चाहिए कि उनका काम सेवा का है. हम सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें पूरी तरह सुरक्षा काम का उचित माहौल और सुविधाएं मिलें लेकिन उन्हें काम पर लौटना ही होगा. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 17 सितंबर तक ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि सरकार डॉक्टरों में असुरक्षा की भावना को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाए. सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से अब तक 23 मरीजों की मौत हो चुकी है. पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट को बताया कि डॉक्टर अभी भी हड़ताल पर हैं. 6 लाख लोग इलाज से महरूम हैं. लोग इलाज के अभाव में मर रहे हैं. डॉक्टरों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कोई सीनियर डॉक्टर हड़ताल पर नहीं है. जूनियर डॉक्टर अभी भी काम पर नहीं लौटे हैं, क्योंकि वो डरे हुए हैं. उन्हें धमकियां मिल रही हैं.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटना के 14 घंटे बाद एफआईआर क्यों दर्ज हुई. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को शव मिलने से लेकर पोस्टमार्टम तक की कड़ियों को जोड़ने के लिए गहराई से जांच करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि वो सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच करे.
कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा देने के निर्देश दिए. कोर्ट ने अस्पताल की सुरक्षा के लिए तैनात सीआईएसएफ कर्मियों को उचित आवास और सुरक्षा उपकरण देने का आदेश दिया.
इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा था कि सीआईएसएफ कर्मियों के पास उचित आवास और बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं. गृह मंत्रालय का कहना है कि कठिनाइयों और समस्या के बावजूद सैनिक एसएमपी कोलकाता में रह रहे हैं. जहां से कालेज तक आने में लगभग एक घंटे का समय लगता है और आपात स्थिति में किसी भी समस्या से निपटने के लिए वह सक्षम नहीं हो पाएंगे. इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के साथ 2 सितंबर को पर्याप्त रसद व्यवस्था और सुरक्षा उपकरणों की मांग को रखा था. गृह मंत्रालय ने कहा था कि अगर राज्य सरकार व्यवस्था करने में नाकाम रहती है तो उनके अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 22 अगस्त को डॉक्टरों से अपील की थी कि वे अपना आंदोलन खत्म कर दें. आंदोलन खत्म करने पर उनके खिलाफ कोई भी निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की इस आशंका पर गौर किया था कि विरोध प्रदर्शन हिंसक हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रशासन विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए कानून के अनुसार काम करने को स्वतंत्र है. हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा.
हिन्दुस्थान समाचार