शिमला: हिमाचल प्रदेश की आर्थिक तंगी का मुद्दा देशभर में छाया है. राज्य सरकार ने कर्मचारियों को उनकी सैलरी पांच दिन देरी से दे सकी है. पेंशनरों की पेंशन 10 दिन देरी से दी जाएगी. आर्थिक संकट से उभरने के लिए सुक्खू सरकार 15 दिसंबर 2022 से 31 जुलाई 2024 तक विभिन्न माध्यमों से 21,366 करोड़ का ऋण ले चुकी है. इसमें सबसे ज्यादा 17,472 करोड़ का ऋण खुले बाजार से उठाया गया है.
राज्य की सुक्खू सरकार के पिछले साढ़े 19 माह के कार्यकाल में लिए गए ऋण का आंकड़ा सामने आया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को सदन में एक लिखित जवाब में बताया कि उनकी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद यानी 15 दिसम्बर 2022 से 31 जुलाई 2024 तक विभिन्न माध्यमों से 21366 करोड़ का ऋण लिया है. इसमें सबसे ज़्यादा 17472 करोड़ का ऋण खुले बाजार से उठाया गया है. इस अवधि में केंद्र सरकार से 2527 करोड़ और नाबार्ड से 1352 करोड़ का ऋण उठाया है. इसके अलावा राष्ट्रीय आवास बैंक से 10 करोड़ और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम से 5 करोड़ का ऋण लिया गया है.
करसोग के विधायक दीपराज और जोगिन्दरनगर के विधायक प्रकाश राणा के संयुक्त सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया कि उनके कार्यकाल में सरकार ने कुल 21,366 करोड़ का सकल ऋण उठाया है. उन्होंने यह भी बताया कि 5,864 करोड़ की राशि पिछले ऋण की अदायगी के तौर पर वापस हुई है. इस तरह राज्य सरकार ने 5864 करोड़ का शुद्ब ऋण लिया है. मुख्यमंत्री ने बताया कि इस ऋण को राज्य सरकार द्वारा बजट के माध्यम से विभिन्न विकासात्मक कार्यों पर खर्च किया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने पिछले दिनों सदन में जानकारी दी थी कि वितीय वर्ष 2022-23 के दौरान 15 दिसंबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक प्रदेश सरकार ने 6897 करोड़ का कर्ज लिया. इसी तरह वितीय वर्ष 2023-24 में 10521 करोड़ का कर्ज उठाया गया. राज्य सरकार ने वितीय वर्ष 2024-25 के दौरान 1 अप्रैल 2024 से 31 जुलाई 2024 तक 3948 करोड़ का कर्ज लिया. राज्य की माली हालत बिगड़ने से राज्य सरकार के कर्मचारियों को उनकी तनख़्वाह पांच दिन देरी से मिली है. पेंशनरों के खातों में पेंशन 10 दिन देरी से जाएगी. राज्य सरकार पर आर्थिक संकट की गंभीरता से इससे साफ होती है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को उनकी सैलरी पांच दिन देरी से मिली है. पेंशनरों के खातों में पेंशन 10 दिन देरी से जाएगी. राज्य सरकार ने साफ किया है कि कर्मचारियों के वेतन के लिए उठाए जाने वाले ऋण पर ब्याज बचाने के मकसद से यह कदम उठाया गया है. इससे सरकार को 3 करोड़ के ब्याज नहीं देना पड़ेगा. इस तरह एक साल में सरकार को 36 करोड़ की बचत होगी.
हिन्दुस्थान समाचार