शिमला: हिमाचल प्रदेश आबकारी संशोधन विधेयक वीरवार को विधानसभा में पारित हो गया. इस विधेयक में अवैध शराब बनाने और इसके अवैध धंधे पर अंकुश लगाने के लिए पहले से अधिक कड़े प्रावधान किये गए हैं.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ये विधेयक चर्चा के लिए प्रस्तुत किया, जिसमें अवैध शराब व्यापार से संबंधित बढ़ती चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है. अवैध शराब बेचने के कारण कभी-कभी लोगों की जान भी चली जाती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि संशोधन विधेयक में शराब के उत्पादन, बिक्री और परिवहन को विनियमित करने के प्रावधान हैं. लेकिन अवैध शराब बनाने और खपत के बढ़ते मामलों के साथ, दंड को बढ़ाना और प्रवर्तन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना आवश्यक हो गया है. संशोधित प्रावधानों का उद्देश्य आबकारी अपराधों से संबंधित जांच और परीक्षणों की प्रभावशीलता में सुधार करना है.
अधिनियम की 13 धाराओं में प्रमुख संशोधन किए गए हैं. इनमें धारा 2, 26, 39, 40, 41, 43, 44, 47, 53, 66, 67 और 68 शामिल हैं. संशोधित अधिनियम में विभिन्न अपराधों के लिए दंड में वृद्धि शामिल है, जिसमें 3 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना है. धारा 41 (ई) में एक बड़ा बदलाव सरकार को अवैध शराब के व्यापार के माध्यम से अवैध रूप से अर्जित संपत्ति को जब्त करने की अनुमति देता है. यह व्यक्तियों को ऐसी संपत्ति रखने से रोकता है. यदि जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर अवैध रूप से अर्जित संपत्ति पाते हैं, तो ये सभी बाधाओं से मुक्त होकर राज्य सरकार में इसे निहित होंगे. कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट नए प्रावधानों के तहत अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का आदेश दे सकते हैं.
संशोधनों में नाबालिगों को शराब बेचने, शराब से संबंधित गतिविधियों में नाबालिगों को नियोजित करने, गैरकानूनी उत्पादन और बिक्री और शराब के साथ हानिकारक पदार्थों को मिलाने जैसे अपराधों के लिए कठोर दंड भी शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, धोखाधड़ी की गतिविधियों के लिए लाइसेंस धारकों या उनके कर्मचारियों पर कठोर दंड लगाया गया है. सभी अपराधों को अब संज्ञेय के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका अर्थ है कि बिना वारंट के गिरफ्तारी की जा सकती है.
सरकार का लक्ष्य इन उपायों का उपयोग अवैध शराब बनाने के खतरे को रोकने और राज्य में शराब के दुरुपयोग से संबंधित बढ़ते मुद्दों से निपटने के लिए एक अधिक मजबूत प्रवर्तन ढांचा सुनिश्चित करने के लिए करना है.
इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के रणधीर शर्मा ने कहा कि सरकार ने इस संशोधन से पुलिस का काम और बढ़ा दिया है जबकि पुलिस पहले से ही काम के बोझ से दबी हुई है क्योंकि उसके पास पहले से ही बहुत काम है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस संशोधन के बाद थानों में और अधिक पुलिस कर्मियों की तैनाती करनी चाहिए.
हिन्दुस्थान समाचार