शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में गुरूवार को हिमाचल के लिए सिक्किम, उत्तराखंड और आसाम की तर्ज पर केंद्र से विशेष वित्तीय सहायता मांगने के सरकारी संकल्प पर चर्चा के दौरान सदन का माहौल गरमाया. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के बीच चर्चा के बीच तीखी नोक-झोंक हुई और विपक्ष ने अपने विरोध जताया.
दरअसल, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी संकल्प पर चर्चा के लिए उठे, लेकिन तभी उनकी नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के साथ नोक-झोंक हो गई. इससे सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच माहौल गरमा गया और दोनों ही पक्षों के सदस्य अपनी-अपनी सीटों पर खड़े होकर एक-दूसरे के खिलाफ शोरगुल करने लगे. बात नारेबाजी तक बढ़ गई और फिर पूरा विपक्ष विराेध जताते हुए सदन से बाहर चला गया.
सदन के नेता व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के व्यवहार को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया और कहा कि उसके वाकआउट से स्पष्ट हो गया कि भाजपा हिमाचल विरोधी है और उसका एकमात्र ऐजेंडा अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना है. उन्होंने कहा कि विपक्ष भ्रमित है और वह राज्य के हितों के खिलाफ काम कर रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के तहत केंद्र से मिल रहा पैसा हिमाचल का अधिकार है और केंद्र यह पैसा देकर कोई खैरात नहीं बांट रहा है, क्योंकि यह राशि 15वें वित्तायोग की सिफारिशों के अनुसार हर राज्य को दी जाती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जल्द की केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात करेंगे और पीडीएनए के तहत लंबित धन राशि जारी करने की मांग करेंगे. सुक्खू ने कहा कि वह अपने अधिकारों और केंद्र से आवंटन के लिए लड़ेंगे और भाजपा की तरह मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे. सीएम ने बताया कि बीते साल आई आपदा के कारण 22 हजार 879 परिवार सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. इसलिए राज्य को 2024-25 के केन्दीय बजट में सिक्किम, असम और उत्तराखण्ड की तर्ज पर आपदा में सहायत मिले.
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विपक्ष के वाकआउट की निंदा करते हुए कहा कि वह पूरी तरह से दिशाहीन हो गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र हिमाचल के साथ भेदभाव कर रहा है और प्रदेश के उसके हक नहीं दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र ने हिमाचल का एनपीएस का 9200 करोड़ रुपए दबाया हुआ है. इसी तरह राजस्व घाटा अनुदान, जीएसटी और बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं तथा ऋण जुटाने की सीमा को भी कम कर दिया है.
हिन्दुस्थान समाचार