शिमला: हिमाचल प्रदेश में वितीय संकट का मुद्दा खूब गरमाया हुआ है. राज्य की सताधारी सुक्खू सरकार आर्थिक संकट का सामना कर रही है. मुख्यमंत्री सुक्खू अपने कैबिनेट सहयोगियों व मुख्य संसदीय सचिवों के साथ वेतन-भत्ते दो माह तक विलंबित करने की घोषणा कर चुके हैं. वितीय संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार को भारी-भरकम कर्ज उठाना पड़ रहा है. सरकार के अब तक के अपने कार्यकाल में लिए गए कर्ज का ब्यौरा सामने आया है. पिछले 20 माहिने में सुक्खू सरकार 21 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है. चौंकाने वाली बात यह है कि सुक्खू सरकार ने सता संभालने के बाद शुरूआती साढ़े तीन माह में सबसे ज्यादा कर्ज लिया. पिछले वितीय वर्ष में भी कर्ज की रफ्तार में कमी नहीं आई.वहीं चालू वितीय वर्ष में भी कर्ज लेने का सिलसिला जारी है.
धर्मशाला से भाजपा विधायक सुधीर शर्मा के सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में जानकारी दी कि 15 दिसंबर 2022 से 31 जुलाई 2024 तक उनकी सरकार ने 21,366 करोड़ का कर्ज लिया है.इस अवधि में पिछले कर्ज की अदायगी के तौर पर 5864 करोड़ वापिस किए गए हैं.इस तरह लगभग 20 माह में प्रदेश सरकार को 15502 करोड़ का शुद्ध कर्ज मिला है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि वितीय वर्ष 2022-23 के दौरान 15 दिसंबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक प्रदेश सरकार ने 6897 करोड़ का कर्ज लिया.इसी तरह वितीय वर्ष 2023-24 में 10521 करोड़ का कर्ज उठाया गया.राज्य सरकार ने वितीय वर्ष 2024-25 के दौरान एक अप्रैल 2024 से 31 जुलाई 2024 तक 3948 करोड़ का कर्ज लिया.इस तरह पिछले करीब 20 महीनों में सरकार ने 21366 करोड़ का कर्ज लिया.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि वितीय वर्ष 2022-23 में 1097 करोड़ का कर्ज वापिस किया गया.वितीय वर्ष 2023-24 में 3481 करोड़ और वितीय वर्ष 2024-25 में 1286 करोड़ का कर्ज लौटाया गया.इस तरह वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 5864 करोड़ का कर्ज वापिस हुआ.
मुख्यमंत्री द्वारा सदन के पटल पर रखी गई जानकारी के अनुसार वितीय वर्ष 2022-23 के दौरान साढ़े तीन माह में 5800 करोड़ का शुद्ध कर्ज लिया गया.वितीय वर्ष 2023-24 में 7040 करोड़ और वितीय वर्ष 2024-25 में 2662 करोड़ का शुद्ध ऋण सरकार के खाते में गया.
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले वितीय वर्ष में वित विभाग ने किसी भी विभाग से ऐसी कोई धनराशि वापिस नहीं ली है, जो कि खर्च नहीं हो पाई है.बता दें कि हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ 90 हजार करोड़ तक पहुंच गया है.
हिन्दुस्थान समाचार