मंडी: पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कर्मचारियों और पेंशनरों की मांगों का समर्थन करते हुए इनको जायज ठहराया है. यहां जारी प्रेस बयान में उन्होंने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को विश्वासघाती और धोखेबाज करार दिया है.
उन्होंने कहा कि चुनावों से पूर्व कांग्रेस नेताओं ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि हम सत्ता में आएंगे तो आउटसोर्स बंद कर पक्की नौकरी देंगे लेकिन अब मुख्यमंत्री सार्वजनिक मंचों से ही कह रहे हैं कि हम इतने पद आउटसोर्स से भरने जा रहे हैं. हद तो तब हो गई है जब शिक्षकों के वेतन को लेकर कहा जा रहा है कि इनको देश में सबसे ज्यादा वेतन इस कार्य के लिए मिलता है. हैरानी की बात है कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले प्रदेश में जब ये वर्ग बेहतरीन सेवाएं दे रहा है तो उनको प्रोत्साहित करने के बजाय उनके ज्यादा वेतन को लेकर कटाक्ष किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि चुनावों से पूर्व कांग्रेस पार्टी वायदे कुछ करती है और जब सत्ता में आती है तो फिर मुकर जाती है. इनके नेता कर्मचारी हितेषी होने का दंभ भरते हैं लेकिन जब कैबिनेट में इनके खिलाफ फैसले लिए जा रहे हैं तो वहां चुप्पी साध लेते हैं. ऐसे दोहरे चरित्र वाले नेता किसी का भला नहीं चाहते और सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए बयानबाजी करते रहते हैं.
उन्होंने कहा कि हमने भी पांच वर्ष आर्थिक संकट के बाबजूद सरकार चलाई और कभी ऐसा नहीं हुआ कि हमें किसी महीने कर्मचारियों की पगार रोकनी पड़ी हो या डीण्एण् और एरियर देने में देरी की हो. ये पहली ऐसी सरकार है जो ऋण तो बेतहाशा ले रही है लेकिन न तो समय पर सैलरी मिल रही है और न डीण्एण् व एरियर घोषणा के बावजूद दिया जा रहा है. यही नहीं मेडिकल रीइंबर्समेंट का भुगतान तक दो वर्षों से नहीं हुआ है. करोड़ों की देनदारी हो गई है. पूर्व में हमारी भाजपा की सरकार में कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई कर्मचारी संगठनों को साढ़े चार साल तक अपनी मांगों के लिए धरना और प्रदर्शन करना पड़ा हो. हमने समय समय पर जो घोषणा की उसको तुरंत दिया भी.
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि लगता है मुख्यमंत्री ऋण लेकर घी अपने मित्रों को पिला रहे हैं. न तो प्रदेश में कोई विकास कार्य दिख रहे हैं और न खून पसीना बहाने वाले कर्मचारियों को पगार मिल रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि इतना पैसा आखिर जा कहां रहा हैघ् उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्वेत पत्र जारी करें कि 20 माह में इन्होंने क़रीब 30 हजार करोड़ का ऋण लेकर उसको कहाँ खर्च किया. ये बताएं कि क्यों हिमाचल में डीए और छठे वेतनमान का संशोधित एरियर न मिलने से कर्मचारियों के सब्र का बांध अब टूट गया है. क्यों हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवा परिसंघ सरकार के खिलाफ अपना रोष प्रकट करने के लिए सड़कों पर उतर आया है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अपने खर्चे कम करने के बजाय कर्मचारियों के हक मार रही है और जो सहूलियतें हमनें जनता को दी थी उनको बंद कर टैक्स और रेंट बढ़ाकर बोझ डाल रही है.
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि आपने जो घोषणाएं की है उसके अनुरूप कर्मचारियों और पेंशनरों को उनका हक अविलंब जारी किया जाए. हम आने वाले विधानसभा सत्र में ये बात अवश्य उठाएंगे कि आखिर आप ये सबकुछ बंद करने करने की जिद्द कब छोड़ेंगे और इससे जो नुक्सान इस प्रदेश का हुआ है उसके लिए जिमेवार कौन हैघ्हमें इन दो वर्षों के कार्यकाल में आगे निकलना चाहिए था लेकिन आपके कुप्रबंधन और कुशासन की बजह से हम दस वर्ष पीछे जा चुके हैं.
हिन्दुस्थान समाचार