शिमला: हिमाचल प्रदेश में पहली सितंबर से 21वीं पशु धन गणना शुरू होगी. इसकी तैयारियों को लेकर बुधवार को शिमला में भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा नोडल अधिकारी और पर्यवेक्षकों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गईं. कार्यशाला में विभाग के कर्मचारियों को गणना के संबंध में जानकारी दी गई. हर पांच साल बाद पशुधन की गणना की जाती है. इस बार पशु गणना में डिजिटल क्रांति का भी अहम रोल रहेगा. कार्यशाला में कृषि मंत्री चंद्र कुमार मुख्य अतिथि के रुप में शरीक हुए.
कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि 21वीं पशुगणना पूरे प्रदेश में सितंबर से दिसंबर 2024 तक की जाएगी. पशुधन गणना प्रदेश के हर घर एवं गौशाला में की जाएगी ताकि गणना से पशुधन का परफेक्ट डाटा एवं विस्तृत जानकारी उपलब्ध हो सके.
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में विकास के लिए प्रभावी नीतियों और योजनाओं का क्रियान्वयन तभी सुनिश्चित हो सकता है जब हमारे पास पशुधन से संबंधित सही आंकड़े उपलब्ध हो.
चंद्र कुमार ने कहा कि आज के दौर में कहीं न कहीं हमारी निर्भरता पशुधन पर कम हो गई है. गणना कार्यक्रम से हम इस दिशा में आगे बढ़ सकते है ताकि लोगों की आय में वृद्धि हो सके.
उन्होंने कहा कि 2019 में हुए पशु गणना के मुताबिक हिमाचल में कुल 44 लाख पशु थे जिनमें 25 लाख पशु हैं जबकि 19 लाख भेड़ बकरियां हैं. हिमाचल कृषि प्रधान राज्य होने के बावजूद उपेक्षित है. मंत्री ने कहा की गणना महज औपचारिकता नही बल्कि सही आंकड़ों के साथ होनी चाहिए तभी आगामी नीति निर्धारण संभव है.
उन्होंने कहा कि पशुधन गणना में मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, घोड़े, टट्टू, खच्चर, गधे, ऊँट और मुर्गी पालन सहित अन्य पशुधन शामिल होंगे. वहीं नस्ल-वार स्वदेशी और विदेशी नस्लों पर आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे. हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलों के राजस्व ग्रामों में पशुधन की गणना सुनिश्चित की जाएगी.
हिन्दुस्थान समाचार