Direct Action Day: पन्द्रह अगस्त 1947 को भारतीय स्वतंत्रता और यह वर्तमान स्वरूप सरलता से नहीं मिला. यह दिन मानों रक्त के सागर से तैरकर आया है. बलिदानियों ने जितना बलिदान विदेशी आक्रांताओं से मुक्ति के लिये दिया, उतना ही बलिदान अपने स्वत्व को सुरक्षित रखने के लिये दिया है. और स्वतंत्रता के साथ हुए भारत विभाजन में तो भीषण नरसंहार हुआ ही था लेकिन इससे पहले भारत विभाजन की मांग को बल देने के लिये भी हत्यारों ने लाशों के ढेर लगा दिये थे. यह नरसंहार 16 अगस्त 1946 से शुरू हुआ और मात्र पांच दिन में बंगाल और पंजाब में लाशों के इतने ढेर लग गये थे कि उन्हे उठाने वाले भी नहीं बचे थे. लोग हत्यारों के भय से भागकर जंगलों और अन्य प्रांतों में भाग गये थे. लाशों की सड़ांध से बीमारियां और मौतें हुईं सो अलग. इन पर लगाम 21 अगस्त के बाद लग सकी.
जानिए डायरेक्ट “एक्शन डे” से सम्बंधित जरूरी बातें-
- 16 अगस्त 1946 को जिन्ना के निर्देश पर हुआ था डायरेक्ट एक्शन डे
- 72 घंटे में 6 हजार से ज्यादा हिंदुओं का हुआ था कत्ल
- बंगाल में कट्टरपंथी भीड़ द्वारा चुन-चुन कर किया गया था हिंदुओं का कत्लेआम
- बंगाल में हजारों हिंदू माताओं-बहनों के साथ कट्टरपंथियों ने किया था बलात्कार
- जान बचाने के लिए लाखों हिंदुओं ने किया था पलायन
- गोमांस की दुकानों पर हुक से लटकाए गए थे हिंदू लड़कियों के नग्न शरीर
जानिए क्यों रचा गया था डायरेक्ट “एक्शन डे” का प्लान?
- अपने लिये अलग देश पाकिस्तान की मांग को सशक्त बनाने के लिये मुस्लिम लीग ने इस डायरेक्टर एक्शन का आव्हान किया था
- जिन्ना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अलग मुस्लिम देश पाकिस्तान बनाने की घोषणा की
- प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिन्ना ने 16 अगस्त 1946 को “प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस” की घोषणा की
कैसे हुई “डायरेक्ट एक्शन डे” की शुरुआत ?
- एक अलग मुस्लिम राष्ट्र का वातावरण बनना 1887-88 के आसपास से आरंभ हो गया था
- इसे आकार देने के लिये 1906 में मुस्लिम लीग अस्तित्व में आई और 1930-31 में पाकिस्तान नाम भी सामने आ गया था
- 1931 में मुस्लिम लीग ने बाकायदा सशस्त्र सैनिकों की भर्ती आरंभ कर दी थी नाम रखा गया “मुस्लिम लीग आर्म गार्ड”
- इसके एक प्रशिक्षण शिविर में बंगाल के मुख्यमंत्री सोहरावर्दी भी उपस्थित थे
- मुख्यमंत्री सोहरावर्दी ने इन “आर्म गार्ड” को पाकिस्तान के लिए “उपलब्धि” बताया था
- डायरेक्ट एक्शन डे अर्थात हिंदुओं के जनसंहार के लिए आसपास के क्षेत्रों से बुलाई गई थी मुस्लिम भीड़
- हिंदू जनसंहार के लिए पंजाब के नेशनल गार्ड्स के 1200 मुस्लिम सिपाहियों को भी बुलाया गया था कोलकाता
- कोलकाता में मौजूद 24 पुलिस थानों में से 22 का इंचार्ज मुस्लिम को बनाया गया था
- दोपहर की नमाज के समय सुहरावर्दी और ख्वाजा नजीमुद्दीन ने दिए हिंदू विरोधी भाषण. नमाज के बाद शुरू कर दिया गया हिंदुओ का कत्लेआम
जानिए क्या-क्या हुआ था “डायरेक्ट एक्शन डे” वाले दिन ?
- 16 अगस्त 1946 को इतनी हिंसा की जिसे देखकर समस्त भारत वासियों की आत्मा कांप गयी. और अंत में बंटवारे का मसौदा तैयार हो गया.
- केवल तीन दिन में बंगाल और पंजाब की गलियाँ लाशों से पट गयीं थीं
- लाखों घरों को तोड़ दिए गए और पूरे शहर में आगजनी की गई
- भीड़ ने हिंदू माताओं/बहनों/बेटियों के गुप्तांग तक गोद डाले थे. हजारों हिंदू महिलाओं के स्तन काटकर नग्न शरीर मांस की दुकानों पर लटका दिए गए थे.
- सार्वजनिक जगहों पर गौमाताओं के साथ किए गए सामूहिक बलात्कार किए गए थे
- कोलकाता से शुरू हुआ हिंदुओं का जनसंहार नोआखाली, बिहार और पंजाब भी पहुंच गया.
- बंगाल के मुख्यमंत्री सोहरावर्दी खुद लालबाग के पुलिस हेडक्वार्टर में उपस्थित होकर इस्लामिक दंगाईयों के विरुद्ध पुलिस कार्यवाही को रोके हुए था
- गार्डन रिच टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन का अध्यक्ष और कम्युनिस्ट नेता सईद अब्दुल्ला फारुकी ने जिहादी झुंड के साथ मिलकर लिछुबागान के ओड़िया मजदूरों की स्लम बस्ती पर हमला कर दिया
- सईद अब्दुल्ला फारुकी के नेतृत्व में केसोराम कोटन मिल्स के 600 ओड़िया मजदूरों का निर्ममतापूर्वक कत्ल कर दिया गया
- कोलकाता के मेयर एसएन उस्मान ने बांटे थे बांग्ला भाषा में एक पोस्टर बांटे थें जिसपर लिखा था “काफिरों! तुम्हारा अंत अब ज्यादा दूर नहीं है. अब हत्याकांड होगा”
मुस्लिम लीग के आगे झुक गई कांग्रेस
मुस्लिम लीग का मकसद आखिर पूरा हो गया. कांग्रेस मुस्लिम लीग की मांगों के आगे झुक गई. भारत की स्वतंत्रता से एक दिन पहले यानि 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बना दिया गया. हालांकि 14 अगस्त 1947 को फिर हिंदुओं का जनसंहार शुरू हुआ. जिसमे लगभग 20 लाख से ज्यादा हिंदुओं का कत्ल हुआ. लाखों हिंदू महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ. लगभग डेढ़ करोड़ से ज्यादा हिंदुओं को पलायन करना पड़ा.