ऊना: हिमाचल-पंजाब सीमा पर जेजों खडड में गाड़ी बहने से मौत का शिकार हुए देहलां व भटोली गांव के आठ लोगों का अंतिम संस्कार मंगलवार को मोक्षधाम विभौर साहिब में किया गया. एक साथ आठ शवों के शमशान घाट में आने से चीखों-पुकार मच गया. वहीं शव जलाने के लिए चिताएं कम पड़ गई तो एक चिता पर तीन लोगों का अंतिम संस्कार किया गया. शायद ऐसा मंजर पहली बार शमशान घाट में दिखा होगा और हर किसी की आंख नम थी.
भटोली गांव के अमरीक सिंह के तीन बच्चों बेटे हर्षित, बेटी भावना, बेटी अमानत, देहलां गांव के सुरजीत, उनकी पत्नि परमजीत कौर, बेटा गगनदीप व उनके भाई सरुप की पत्नि पलविंद्र कौर, बेटे नितिन की चिताएं जैसे ही भबौर साहिब शमशान घाट जली तो हर कोई गमगीन हो गया.
शमशान घाट पर में बनाई गई भटिठयां कम पड़ गई तो भटोली निवासी अमरीक सिंह के तीन बच्चों को एक ही चिंता पर मुखाग्रि दी गई. अमरीक सिंह ने अपने जिगर के टुकड़ों हर्षित, भावना व अमानत को मुखाग्रि दी. वहीं सुरजीत के परिवार से एकमात्र जिंदा बचे उनके बेटे दीपक भाटिया ने अपने पिता सुरजीत, माता परमजीत कौर, भाई गगनदीप को मुखाग्रि दी, तो विदेश से लौटे नंद किशोर ने अपनी माता पलविंद्र कौर व भाई नितिन की चिताओं को मुखाग्रि दी. बिभौर साहिब शमशान घाट में एक साथ आठ शवों को लाया गया था.
मंगलवार को देहलां गांव से पांच शव बिभौर साहिब पहुंचे, तो उसके कुछ देर बाद भटोली गांव से अमरीक सिंह के तीन बच्चों के शव भी शमशान में पहुंच गए. उक्त वाक्या देखकर उनके रिश्तेदार व अन्य लोग गमगीन हो गए. रिश्तेदार अपने सगे संबंधियों के शव देखकर जोर-जोर से विलाप कर रहे है. रिश्तेदारों का विलाप देखकर हर किसी की आंखों से अश्रुधारा बह रही थी. बिभौर साहिब शमशान घाट पर इतिहास में पहली बार देखा गया कि एक साथ आठ चिताएं जली है. अंतिम संस्कार के दौरान जैसे ही लोगों ने एक शव को चिता पर रखा तो कुछ महिलाओं का जोर-जोर से विलाप शुरु हो गया. महिलाएं एक बार मृतकों के अंतिम दर्शन करना चाह रही थी. करीब साढे 11 बजे अंतिम संस्कार की रस्म प्रक्रिया शुरु की गई और एक साथ सभी आठों मृतकों को मुखाग्रि दी गई.
अमरीक सिंह के तीन बच्चों को एक चिता पर दी गई मुखाग्रि
एक साथ आठ चिताएं पहुंचने से बिभौर साहिब पर भटिठयां कम पड़ गई. जिसके चलते शमशान घाट के साथ ही अमरीक सिंह के तीन बच्चों हर्षित, भावना व अमानत को एक ही चिंता पर रखा गया. एक साथ तीनों भाई-बहन संसार से रुखसत हुए तो एक साथ ही चिता पर उन्हें अंतिम विदाई दी गई. उक्त वाक्या देखकर हर कोई गमगीन नजर आया.
अमरीक, दीपक व नंद किशोर का विलाप
अपनों की चिताएं जलती देखकर अमरीक, दीपक व नंद किशोर सुध-बुध खो बैठे थे. तीनों का विलाप देखकर अंतिम संस्कार में पहुंचे सभी लोगों की आंखों से अश्रुधारा बह रही थी. भटोली निवासी अमरीक सिंह व सरुप चंद का बेटा नंद किशोर बीती रात ही विदेश से अपने घर पहुंचे थे. दोनों जब अपने घर पहुंचे तो अपने परिवारिक सदस्यों के शव देखकर सुध-बुध खो बैठे. घर में शोक व्यक्त करने आए लोगों की भी समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे इन्हें ढांढस बंधाए, जिनका हादसे ने पूरा परिवार ही उजाड़ दिया.
हिन्दुस्थान समाचार